ये दिल इक बार फिर तेरी गली का रास्ता ढूँढे
ये दिल इक बार फिर तेरी गली का रास्ता ढूँढे दयार-ए-अजनबी में दर ब दर इक आशना ढूँढे किसी तपते हुए सहरा से गुज़रे हो गई मुद्दत तो ये दर्द आशना दिल पाँव में अब आबला ढूँढे ख़ुलूस , अख़्लाक़ , चाहत की हक़ीक़त देख ली जब से दिल-ए-तन्हा मोहब्बत के लिए इक आईना ढूँढे ये आईना भी अब धुंधला गया है गर्द-ए-वहशत से कहाँ से हमनवा , हमराज़ कोई बारहा ढूँढे मोहब्बत तर्क की , दिल से मगर “ मुमताज़ ” है बेबस ये दिल अब भी तेरी जानिब से कोई राब्ता ढूँढे दयार – शहर , आशना – परिचित , आबला – छाला , ख़ुलूस – सच्चाई , , अख़्लाक़ – अच्छा बर्ताव , हमनवा – जिससे बात कर सकें , हमराज़ – जिसको राज़ बता सकें , बारहा – बार बार , तर्क – त्याग , जानिब – तरफ़ , राब्ता – संपर्क