किरदार-ए-फ़न, उलूम के पैकर भी आयेंगे
किरदार - ए - फ़न , उलूम के पैकर भी आयेंगे मुस्तक़बिलों की गोद में बेहतर भी आयेंगे उम्मीद का किवाड़ खुला छोड़ दे रफ़ीक़ ऊबेंगे हम जो दश्त से तो घर भी आयेंगे लहरों से जंग करने का रखते हैं हौसला तो फिर हमारे हाथ में गौहर भी आयेंगे ज़ब्त - ए - सितम का ख़ुम भी छलक जाएगा कभी सैलाब ज़हर के कभी बाहर भी आयेंगे हम चूमने चले हैं फ़लक की बलंदियाँ क़दमों तले हमारे अब अख़्तर भी आयेंगे " मुमताज़ " जी ज़माने की बातों का खौफ़ क्या फलदार है दरख़्त तो पत्थर भी आयेंगे کردار_فن , علوم کے پیکر بھی آینگے مستقبلوں کی گود میں بہتر بھی آینگے امید کا کواڑ کھلا چھوڑ دے رفیق اوبنگے ہم جو دشت سے تو گھر بھی آینگے لہروں سے جنگ کرنے کا رکھتے ہیں حوصلہ تو پھر ہمارے ہاتھ میں گوہر بھی آینگے ضبط_ستم کا خم بھی چھلک جاےگا کبھی سیلاب زہر کے کبھی باہر بھی آینگے ہم چومنے