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Showing posts from January 14, 2019

इक यही आख़िरी हक़ीक़त है

इक यही आख़िरी हक़ीक़त है तेरी उल्फ़त मेरी इबादत है जान-ए-जाँ ये भी इक हक़ीक़त है मुझ को तेरी बहुत ज़रुरत है लूट का फ़न तवील क़ामत है आजकल आदमी की क़िल्लत है फ़ौत होने लगी है तारीकी एक उम्मीद की विलादत है मुझ को रखता है इक तज़बज़ुब में ये मेरे क़ल्ब की शरारत है छोटी छोटी हज़ार ख़ुशियाँ हैं इश्क़ में भी बड़ी नफ़ासत है खो गया जब क़रार तो जाना बेक़रारी में कितनी लज़्ज़त है जीतना , मुस्कराना , ख़ुश रहना ऐश में भी बड़ी मशक़्क़त है अब हवस का ही खेल है सारा " अब मोहब्बत कहाँ मोहब्बत है" ज़िन्दगी जिस को हम समझते हैं सिर्फ़ "मुमताज़" एक साअत है    ik yahi aakhiri haqeeqat hai teri ulfat meri ibaadat hai jaan e jaaN ye bhi ik haqeeqat hai mujh ko teri bahot zaroorat hai loot ka fan taweel qaamat hai aaj kal aadmi ki qillat hai faut hone lagi hai taariki ek ummeed ki wilaadat hai mujh ko rakhta hai ik tazabzub meN ye mere qalb ki sharaarat hai chhoti chhoti hazaar khushiyaaN haiN ishq meN bhi badi nafaasat hai