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Showing posts from November 13, 2018

नज़्म -तलाश

दिलों   में   पिन्हाँ   है   अब   तक   जो   राज़ , फाश   न   कर मेरे   हबीब , मुझे   अब   कहीं   तलाश   न   कर तेरी   तलाश   का   मरकज़   ही   खो   गया   जानां हमारे   बीच   बड़ा   फ़र्क़ हो   गया   जानां तमन्ना   उलझी   है   अब   तक   इसी   तरद्दुद   में न   मुझ   को   ढून्ढ , के   अब मैं   नहीं   रही   खुद   में न   अब   वो   शोला बयानी , न   वो   गुमाँ बाक़ी वो   आग   सर्द   हुई , रह   गया   धुंआ   बाक़ी हर   एक   लम्हा   तबस्सुम   की   अब   वो   ख़ू न   रही नज़र   में   ज़ू न   रही , ज़ुल्फ़   में   ख़ुश्बू   न   रही न   हसरतों   के   शरारे , न   वो   जुनूँ ही   रहा न  ...