ग़ज़ल - फूट कर वो भी तो रोया होगा
फूट कर वो भी तो रोया होगा ख़ून-ए-दिल रंग तो लाया होगा PHOOT KAR WO BHI TO ROYA HOGA KHOON E DIL RANG TO LAAYA HOGA कर लिया तर्क-ए-तअल्लुक़ लेकिन क्या मगर चैन से सोया होगा KAR LIYA TARK-E-TA’ALLUQ LEKIN KYA MAGAR CHAIN SE SOYA HOGA ख़ुद सिमट कर कहीं अपने अंदर उसने बरसों तुम्हें सोचा होगा KHUD SIMAT KAR KAHIN APNE ANDAR "US NE BARSON TUMHEN SOCHA HOGA ” मेरी वहशत का उसकी चाहत का एक अंजान सा रिश्ता होगा MERI WAHSHAT KA US KI CHAAHAT KA EK ANJAAN SA RISHATAA HOGA आग में हम ही नहीं झुलसे हैं उसकी आँखों में भी दरिया होगा AAG MEN HAM HI NAHIN JHULSE HAIN US KI AANKHON MEN BHI DARIYA HOGA मेरी आँखों में उतर कर उसने इक हसीं ख़्वाब तो देखा होगा MERI AANKHON MEN UTAR KAR US NE WO HASEEN KHAAB TO DEKHA HOGA ज़ख़्म तपका तो हुआ है एहसास उसका दिल ज़ोर से तड़पा ह...