फ़र्श था मख़मल का, लेकिन तीलियाँ फ़ौलाद की
फ़र्श था मख़मल का,
लेकिन तीलियाँ फ़ौलाद की
हो न पाएँ हम रिहा,
कोशिश रही सय्याद की
मरहबा ज़िन्दादिली,
सद आफ़रीं फ़न्न-ए-हयात
हम जहाँ पहुँचे,
नई दुनिया वहाँ आबाद की
दाम में आया जुनूँ,
अब हसरतों की ख़ैर हो
दिल ने फिर तस्कीन की सूरत कोई ईजाद की
ऐ ख़ुदाई के तलबगारो,
रहे ये भी ख़याल
हो गई मिस्मार पल भर में इरम शद्दाद की
इश्क़ की पुख़्ता इमारत किस क़दर कमज़ोर थी
ज़लज़ला आया कि ईंटें हिल गईं बुनियाद की
जब अना क़त्ल-ए-तरब की ज़िद पे आमादा हुई
हसरतों ने बख़्त के दरबार में फ़रियाद की
कर लिया फ़ाक़ा,
प फैलाया नहीं दस्त ए सवाल
हर तरह हम ने भी रक्खी है वज़अ अजदाद की
लूट लेती हैं नशिस्तें यूँ भी कुछ मुतशाइरात
"दाद लोगों की,
गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की"
हम जूनून ए ख़ाम ले कर दर ब दर फिरते रहे
किस तरह "मुमताज़" हम ने ज़िन्दगी बर्बाद की
फ़ौलाद – स्टील, सय्याद – बहेलिया, मरहबा
–सद आफ़रीं - तारीफ़ी जुमला, फ़न्न-ए-हयात – जीवन जीने की कला, दाम – जाल, जुनूँ – सनक, तस्कीन – राहत, ईजाद – खोज, मिस्मार – ढह जाना, इरम – शद्दाद की जन्नत, शद्दाद
– एक शख़्स, जिस ने ज़मीन पर जन्नत बनाई थी, पुख्ता – मज़बूत, ज़लज़ला भूकंप,
अना – अहं, तरब – ख़ुशी, बख्त – क़िस्मत, वज़अ – तौर तरीक़े, अजदाद – पूर्वज, मुतशाइरात नक़ली शायरात, ख़ाम – बेकार
farsh tha makhmal ka,
lekin teeliyaaN faulaad ki
ho na paaeN ham riha,
koshish rahi sayyad ki
marhaba zindadili,
sad aafreeN fann e hayaat
ham jahaN pahonche,
nai duniya wahaN aabad ki
daam meN aaya junooN
ab hasratoN ki khair ho
dil ne phir taskeen
ki soorat koi ijaad ki
aey khudaai ke
talabgaaro, rahe ye bhi khayaal
ho gai mismaar pal
bhar meN iram shaddad ki
ishq ki pukhta
imaarat kis qadar kamzor thi
zalzala aaya ke inteN
hil gaiN buniyaad ki
jab anaa qatl e tarab
ki zid pa aamaada hui
hasratoN ne bakht ke
darbaar meN fariyaad ki
kar liya faaqa, pa
phailaaya nahiN dast e sawaal
har tarah ham ne bhi
rakkhi hai wazaa ajdaad ki
loot leti haiN
nashisteN yuN bhi kuchh mutshaairaat
"daad logoN ki,
galaa apna, ghazal ustaad ki"
ham junoon e khaam le
kar dar ba dar phirte rahe
kis tarah
"Mumtaz" ham ne zindagi barbaad ki
A beautiful piece of writing Ms. Mumtaz!
ReplyDeleteDo check out mine.. Even though I'm a beginner :)
https://draft.blogger.com/profile/17446023509287507765
फ़र्श था मख़मल का, लेकिन तीलियाँ फ़ौलाद की
ReplyDeleteहो न पाएँ हम रिहा, कोशिश रही सय्याद की
मरहबा ज़िन्दादिली, सद आफ़रीं फ़न्न-ए-हयात
हम जहाँ पहुँचे, नई दुनिया वहाँ आबाद की
दाम में आया जुनूँ, अब हसरतों की ख़ैर हो
दिल ने फिर तस्कीन की सूरत कोई ईजाद की
ऐ ख़ुदाई के तलबगारो, रहे ये भी ख़याल
हो गई मिस्मार पल भर में इरम शद्दाद की
इश्क़ की पुख़्ता इमारत किस क़दर कमज़ोर थी
ज़लज़ला आया कि ईंटें हिल गईं बुनियाद की
जब अना क़त्ल-ए-तरब की ज़िद पे आमादा हुई
हसरतों ने बख़्त के दरबार में फ़रियाद की
कर लिया फ़ाक़ा, प फैलाया नहीं दस्त ए सवाल
हर तरह हम ने भी रक्खी है वज़अ अजदाद की
लूट लेती हैं नशिस्तें यूँ भी कुछ मुतशाइरात
"दाद लोगों की, गला अपना, ग़ज़ल उस्ताद की"
हम जूनून ए ख़ाम ले कर दर ब दर फिरते रहे
किस तरह "मुमताज़" हम ने ज़िन्दगी बर्बाद की
Lajawab , benazeer, hoshruba khoob tareen kalaam
Waaaaaaaaaaah