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Showing posts from January 24, 2019

कैश की शक्ल में आए जो, वो माल अच्छा है

कैश की शक्ल में आए जो , वो माल अच्छा है ख़्वाह दीनार-ओ-दिरहम हो , कि रियाल , अच्छा है ख़्वाह हो वोट की खातिर , प कोई काम तो हो डेमोक्रेसी में इलेक्शन का ही साल अच्छा है पहले शायर थे अलग , और गवय्ये थे अलग बन गए आज तो शायर ही क़वाल , अच्छा है पहले नाकर्दा गुनाहों की सज़ा दी , और अब प्रेस के सामने करते हैं मलाल , अच्छा है ज़िन्दगी चैन से मरने नहीं देती हम को और कर रक्खा है जीना भी मुहाल , अच्छा है एक बेचैनी सी दिन रात रहा करती है मेरे सर पर ये मोहब्बत का वबाल अच्छा है मेरे हाथों से न सरज़द हो कोई कार ए हराम दो निवाले हों , मगर रिज्क़ ए हलाल अच्छा है दिल में चुभती हैं तो जी उठते हैं अरमान कई उन की आँखों में ये पुरलुत्फ़ कमाल अच्छा है cash ki shakl meN aae jo, wo maal achha hai khwaah dinaar o dirham ho, ke riyaal, achha hai khwaah ho vote ki khaatir, pa koi kaam to ho democracy meN election ka hi saal achha hai pahle shaayar the alag, aur gavayye the alag ban gae aaj to shaayar hi qawal, achha hai pahle nakarda gunaahoN ki sazaa