मेरे सपनों का भारत
ज़मीं सोने की हो और आस्माँ चाँदी के ख़्वाबों का ज़मीं के ज़र्रे ज़र्रे पर चमन महके गुलाबों का हर इक इंसाँ के ख़्वाबों को यहाँ ताबीर मिल जाए हमें हिन्दोस्ताँ की काश वो तस्वीर मिल जाए जहाँ कोई न भूका हो , जहाँ कोई न प्यासा हो हर इक मज़दूर के हाथों में दौलत का असासा हो जहाँ हर फ़र्द के दिल में मोहब्बत ही मोहब्बत हो न दंगे हों , न बम फूटें , यहाँ राहत ही राहत हो कभी चाँदी के टुकड़ों के लिए बच्चे न बिकते हों यहाँ हम अपने हाथों से नई तक़दीर लिखते हों यहाँ बेटी को भी बेटों के जितना प्यार मिलता हो यहाँ हर इक को ज़िन्दा रहने का अधिकार मिलता हो कहीं छोटे बड़े का भेद हो कोई , न झगड़ा हो कोई बस्ती न जलती हो , कोई जीवन न उजड़ा हो यहाँ मज़हब के ठेकेदार भी मिल जुल के रहते हों कोई मस्जिद न गिरती हो , कहीं मंदिर न ढहते हों ये भारत अपने ख़्वाबों का हमें मिल कर बनाना है उठा कर आस्माँ से स्वर्ग इस धरती पे लाना है