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Showing posts from December 12, 2018

मेरे सपनों का भारत

ज़मीं सोने की हो और आस्माँ चाँदी के ख़्वाबों का ज़मीं के ज़र्रे ज़र्रे पर चमन महके गुलाबों का हर इक इंसाँ के ख़्वाबों को यहाँ ताबीर मिल जाए हमें हिन्दोस्ताँ की काश वो तस्वीर   मिल जाए जहाँ कोई न भूका हो , जहाँ कोई न प्यासा हो हर इक मज़दूर के हाथों में दौलत का असासा हो जहाँ हर फ़र्द के दिल में मोहब्बत ही मोहब्बत हो न दंगे हों , न बम फूटें , यहाँ राहत ही राहत हो कभी चाँदी के टुकड़ों के लिए बच्चे न बिकते हों यहाँ हम अपने हाथों से नई तक़दीर लिखते हों यहाँ बेटी को भी बेटों के जितना प्यार मिलता हो यहाँ हर इक को ज़िन्दा रहने का अधिकार मिलता हो कहीं छोटे बड़े का भेद हो कोई , न झगड़ा हो कोई बस्ती न जलती हो , कोई जीवन न उजड़ा हो यहाँ मज़हब के ठेकेदार भी मिल जुल के रहते हों कोई मस्जिद न गिरती हो , कहीं मंदिर न ढहते हों ये भारत अपने ख़्वाबों का हमें मिल कर बनाना है उठा कर आस्माँ से स्वर्ग इस धरती पे लाना है

इंसाँ बेदस्तार हुआ है

इंसाँ बेदस्तार हुआ   है ज़ख़्मी   हर   किरदार   हुआ   है तूफ़ानों   का   वार   हुआ   है फिर   भी   सफ़ीना   पार   हुआ   है नादारों   की   जान   है   सस्ती जीना   भी   ब्योपार   हुआ   है ख़्वाबों   का   ख़ुर्शीद   तो   डूबा दिल   आख़िर   बेदार   हुआ   है बीनाई   सरशार   हुई   है आज   उन   का   दीदार   हुआ   है लम्हा   लम्हा   भाग   रहा   है वक़्त   सुबुक   रफ़्तार   हुआ   है कुछ   तो   है   "मुमताज़ " ने   पाया हर   लम्हा   सरशार   हुआ   है insaaN bedastaar hua hai zakhmee har kirdaar hua hai toofaanoN ka waar hua hai phir bhi safeena paar hua hai naadaaroN ki jaan hai sasti jeena bhi byopaar hua hai khwaaboN ka khursheed to dooba dil aakhir bedaar hua hai been...