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Showing posts from November 25, 2018

ज़मीं क्या, आसमानों पर भी है चर्चा मोहम्मद का

ज़मीं क्या , आसमानों पर भी है चर्चा मोहम्मद का तभी तो रश्क ए जन्नत बन गया बतहा मोहम्मद का इबादत पर नहीं , उन की शफ़ाअत पर भरोसा है शफ़ाअत हश्र में होगी , ये है वादा मोहम्मद का जहाँ तो क्या , उन्हें रब्ब ए जहाँ महबूब रखता है ये आला मरतबा दुनिया में है तनहा मोहम्मद का जिसे नूर ए अज़ल के रंग से ढाला है ख़ालिक़ ने कोई सानी तो क्या , देखा नहीं साया मोहम्मद का वो हैं खत्मुन नबी , हादी ए कुल , कुरआन सर ता पा है नस्ल ए आदमी के वास्ते तोहफ़ा मोहम्मद का वो मख़्लूक़ ए ख़ुदा के वास्ते रहमत ही रहमत हैं मगर इंसान ने एहसाँ नहीं माना मोहम्मद का लकीर इक नूर की खिंचती गई , गुज़रे जिधर से वो ज़मीं से आसमाँ तक देखिये जलवा मोहम्मद का zameeN kya, aasmaanoN par bhi hai charcha Mohammad ka tabhi to rashk e jannat ho gaya bat'haa Mohammad ka ibaadat par nahin, un ki shafaa'at par bharosa hai shafaa'at hashr meN hogi, ye hai vaada Mohammad ka jahaN to kya, unheN rabb e jahaN mahboob rakhta hai ye aala martaba duniya meN hai tanhaa Mohammad ka