हौसला जिस दिन से तेरा बेतकाँ हो जाएगा आस्माँ उस रोज़ तेरा पासबाँ हो जाएगा अपनी हस्ती को मिटा डाला था जिसके वास्ते क्या ख़बर थी वो भी इक दिन बदगुमाँ हो जाएगा कर्ब को इक हुस्न दे दे , ज़ख़्म कर आरास्ता रास्ते का हर नज़ारा ख़ूँचकाँ हो जाएगा सर्द कर दे आग दिल की वर्ना इक दिन हमनशीं तेरा हर इक राज़ चेहरे से अयाँ हो जाएगा ये लहू मक़्तूल का भी रंग लाएगा ज़रूर ऐ सितमगर तू भी इक दिन बेनिशाँ हो जाएगा फ़ैसला वो जिसको हमने दे दी सारी ज़िन्दगी किसने सोचा था कि इक दिन नागहाँ हो जाएगा सोच लो “ मुमताज़ ” सौ सौ बार क़ब्ल-ए-आरज़ू इस अमल से तो तुम्हारा ही ज़ियाँ हो जाएगा बेतकाँ – अनथक , पासबाँ – रक्षक , कर्ब – दर्द , आरास्ता – सजा हुआ , ख़ूँचकाँ – ख़ून टपकता हुआ , हमनशीं – साथ बैठने वाला , अयाँ – ज़ाहिर , मक़्तूल – जिसका ख़ून हुआ हो , नागहाँ – अचानक , क़ब्ल-ए-आरज़ू – इच्छा से पहले , अमल – काम , ज़ियाँ – नुक़सान