अपने जज़्बात की तुगियानी से उलझा न करो
अपने जज़्बात की तुगियानी से उलझा न करो जानलेवा है ये चाहत , उसे चाहा न करो अपने अन्दर के बयाबानों में खोया न करो " इतना गहरा मेरी आवाज़ से पर्दा न करो" मैं तो इक टूटा हुआ ख़्वाब हूँ , मेरा क्या है मेरे बारे में कभी ग़ौर से सोचा न करो मार डालेगा तमन्नाओं का बेसाख्तापन इतनी बेचैन तमन्नाओं को यकजा न करो ज़ब्त का बाँध जो टूटा तो बहा लेगा तुम्हें दिल में उठते हुए तूफ़ानों को रोका न करो बड़ी मुश्किल से चुरा पाई हूँ इन से ख़ुद को सर पटकते हुए सन्नाटों का चर्चा न करो खो न जाओ कहीं फिर अपनी ही तारीकी में दश्त ए तन्हाई में शब् भर यूँ ही भटका न करो रोशनी चुभती है "मुमताज़" अभी आँखों में आज रहने दो ये तारीकी , उजाला न करो apne jazbaat ki tughiyaani meN uljha na karo jaan lewa hai ye chaahat, use