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Showing posts from January 31, 2020

नई उम्र की नई फ़सल

फेसबुक ने हमारे समाज का क्या भला किया या क्या बुरा किया , यह अलग विषय है लेकिन फेसबुक ने हर किसी को अपने विचारों को दुनिया के सामने रखने का एक प्लेटफॉर्म ज़रूर दिया है , इसमें कोई शक नहीं और आज फेसबुक की मेहरबानी से हमारे साहित्य जगत में लेखकों की एक पूरी पौध पक कर तैयार हो गई है। ऐसा कोई ज़रूरी नहीं है कि फेसबुक पर अपने विचार व्यक्त करने वाला हर लेखक अच्छा ही हो। उन में से कुछ वाकई बहुत बुरे हैं , जिन्हें लेखन तो क्या , भाषा और व्याकरण का भी ज्ञान नहीं है। लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि फेसबुक ने हमारे साहित्य जगत को कुछ वाकई बहुत ही अच्छे और सक्षम लेखकों का नज़राना भी दिया है , जिनकी लेखनी में निर्भीकता और विचारों में दम है। नई पौध के इन्हीं लेखकों में से एक नाम अशफ़ाक़ अहमद का भी है , जो युवा हैं , जिनकी लेखनी में भरपूर रवानी है , विचारों में नयापन है और जिनकी नज़रों में समाज की हर समस्या को एक नए नज़रिये से देखने की रौशनी भी है। हाल ही में उनकी कहानियों का संग्रह "गिद्धभोज" मैं ने पढ़ा , और इसमें कोई दोराय नहीं कि मैं इन कहानियों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी।