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Showing posts from June 16, 2018

सीना ज़ख़्मी हो, बदन ख़ून में तर हो तो कहो

सीना ज़ख़्मी हो , बदन ख़ून में तर हो तो कहो जाँ लुटाने का तुम्हें शौक़ अगर हो तो कहो जज़्बा-ए-शो ’ ला फ़िशाँ , पा ब शरर हो तो कहो “ गर्मी-ए-ज़ौक़-ए-अमल क्या है , सफ़र हो तो कहो ” मानती हूँ कि ज़माने की ख़बर है तुम को ख़ाक उड़ाते हुए लम्हों की ख़बर हो तो कहो मेरे मोहसिन हो तो फिर सर को हथेली प रखो जंग में आए तो हो , सीना सिपर हो तो कहो सुबह तो हो भी चुकी है प शोआएँ हैं कहाँ इस सहर में भी दरख़्शाँ जो मेहेर हो तो कहो साथ चलने को चलो , सोच लो लेकिन दिल में कोई अंदेशा , कोई शक , कोई डर हो तो कहो फूटते पाँव के छालों से गिला क्या करना तपती राहों में कोई भी जो शजर हो तो कहो जाने इस राह में “ मुमताज़ ” कहाँ क्या होगा मौत से आँख मिलाने का हुनर हो तो कहो जज़्बा-ए-शो ’ ला फ़िशाँ – आग बरसाने वाला जज़्बा , पा ब शरर – अंगारों से भरे पाँव , गर्मी-ए-ज़ौक़-ए-अमल – कर्म करने की दिलचस्पी की गर्मी , सीना सिपर – सीने को ढाल बनाने वाला , शोआएँ – किरणें , सहर – सुबह , दरख़्शाँ – चमकता हुआ , मेहेर – सूरज , शजर – पेड़ ,  

होने का मुझे कोई तो एहसास दिला याद

होने का मुझे कोई तो एहसास दिला याद फिर मुझको दिखा आईना , फिर मुझको रुला याद फिर मैंने किया क़स्द तेरी राह का ऐ दोस्त कोई भी मुझे फ़ैसला अपना न रहा याद ये कर्ब , ये बेचैनी , ये वहशत , ये उम्मीदें बच कर मैं कहाँ तुझसे रहूँ , कुछ तो बता याद यूँ हम ने मिटा डाला है हर एक निशाँ अब अपनी ही तड़प याद , न तेरी ही अदा याद रोई है वफ़ा फूट के अपनी ही ख़ता पर जो तू ने कभी की थी वो आई है दुआ याद चेहरा तो शनासा है प बेगाना है दिल क्यूँ लगता है मेरा कौन तू , करने दे ज़रा याद इक लहर सी सीने में उठी , डूब गया दिल लगता है मेरे माज़ी ने फिर मुझको किया याद क्यूँ टूटा है “ मुमताज़ ” हमारा ये नशेमन तक़सीर तेरी याद न अपनी ही ख़ता याद

है गराँ एक इक सवाल हमें

है गराँ एक इक सवाल हमें सिर्फ वादों प अब न टाल हमें फ़ैसला कुछ तो ज़िंदगानी का इस कशाकश से अब निकाल हमें मार डालें न ग़म ज़माने के ऐ ग़म-ए-आशिक़ी संभाल हमें इस लिए गुम हैं हम भी माज़ी में रास आया कभी न हाल हमें यूँ बिखरते रहे हैं हम पैहम हर तबाही का है मलाल हमें सीख पाए न इक तसन्नोअ हम यूँ तो आते हैं सब कमाल हमें हम हैं गोया कि रास्ता कोई वक़्त करता है पायमाल हमें तसन्नोअ – बनावट