इस अदा से गूँजता है नारा ए रिन्दाना आज
इस अदा से गूँजता है नारा ए रिन्दाना आज वज्द में आया है साक़ी , झूम उठा मैख़ाना आज चूम लेती है लपक कर शमअ की लौ बारहा मौत के आहंग पर रक़्साँ है फिर परवाना आज फिर ख़िरद जोश - ए - जुनूँ के बढ़ के चूमेगी क़दम अर्श को भी तोड़ देगा नारा ए मस्ताना आज वुसअतें सब ज़ात की यकजा हुईं तो यूँ हुआ अपने हर इक ज़ाविये को मैं ने भी पहचाना आज चूर होती हैं लरज़ कर जिस से सब दुश्वारियाँ हिम्मत ए निस्वाँ में आई क़ुव्वत ए मर्दाना आज वहशत ए तन्हाई ...