करो कुछ तो हँसने हँसाने की बातें
करो कुछ तो हँसने हँसाने की बातें बहुत हो गईं दिल दुखाने की बातें वो करते रहे ज़ुल्म ढाने की बातें वो तीर-ए-नज़र , वो निशाने की बातें ज़माना तो जीने भी देगा न हम को कहाँ तक सुनोगे ज़माने की बातें हटाओ भी , क्या ले के बैठे हो जानम ये खोने के शिकवे , ये पाने की बातें ये ताने , ये तिश्ने , ये शिकवे , ये नाले ये करते हो क्यूँ दिल जलाने की बातें यहाँ कौन देता है जाँ किस की ख़ातिर किताबी हैं ये जाँ लुटाने की बातें चलो छोड़ो “ मुमताज़ ” अब मान जाओ भुला दो ये सारी भुलाने की बातें