बेज़ारी की बर्फ़ पिघलना मुश्किल है
बेज़ारी की बर्फ़ पिघलना मुश्किल है ख़्वाबों से दिल आज बहलना मुश्किल है तुन्द हवाओं से लर्ज़ाँ है शम्म-ए-यक़ीं इस आंधी में दीप ये जलना मुश्किल है हर जानिब है आग , सफ़र दुशवार है अब जलती है ये राह , कि चलना मुश्किल है आग की बारिश , ख़ौफ़ के दरिया का सैलाब इस मौसम में घर से निकलना मुश्किल है गर्म है क़त्ल ओ ग़ारत का बाज़ार अभी ये जाँ का जंजाल तो टलना मुश्किल है उल्फ़त की अब छाँव तलाश करो यारो नफ़रत का ख़ुर्शीद तो ढलना मुश्किल है ताक़त जिस की ...