Posts

Showing posts from December 6, 2018

बेज़ारी की बर्फ़ पिघलना मुश्किल है

बेज़ारी   की   बर्फ़   पिघलना   मुश्किल   है   ख़्वाबों   से   दिल   आज   बहलना   मुश्किल   है तुन्द हवाओं   से   लर्ज़ाँ   है   शम्म-ए-यक़ीं   इस   आंधी   में   दीप   ये   जलना   मुश्किल   है हर   जानिब   है   आग , सफ़र   दुशवार   है   अब जलती   है   ये   राह , कि चलना   मुश्किल   है आग   की   बारिश , ख़ौफ़ के   दरिया   का   सैलाब इस   मौसम   में   घर   से   निकलना   मुश्किल   है गर्म   है   क़त्ल   ओ   ग़ारत का   बाज़ार   अभी ये   जाँ   का   जंजाल   तो   टलना   मुश्किल   है उल्फ़त   की   अब   छाँव   तलाश   करो   यारो नफ़रत   का   ख़ुर्शीद   तो   ढलना   मुश्किल   है ताक़त   जिस   की   राज   उसी   का   चलता   है " जंगल   का   क़ानून   बदलना   मुश्किल   है" अंधी   खाई   है   आगे   ऐ   हम   वतनो        फिसले   तो   "मुमताज़" संभलना मुश्किल   है   bezaari ki barf pighalna mushkil hai khwaaboN se dil aaj bahlna mushkil hai tund hawaaoN se larzaaN hai sham e yaqeeN is aandhi meN deep ye jalna mushkil hai har jaani