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Showing posts from December 29, 2018

तमन्ना फड़फड़ा कर बुझ गई आहिस्ता आहिस्ता

तमन्ना फड़फड़ा कर बुझ गई आहिस्ता आहिस्ता जवाँ होने लगी   तश्नालबी 1   आहिस्ता   आहिस्ता न जाने दिल ने क्या देखा तेरी आँखों की जुम्बिश 2 में जली यकलख़्त 3 हसरत 4 और बुझी आहिस्ता आहिस्ता नक़ाब उलटी शफ़क़ 5 ने , शाम के रुख़ 6 पर सजा ग़ाज़ा 7 उफ़क़ 8 के हाथ पर मेहंदी रची आहिस्ता आहिस्ता बसेरा छोड़ कर जाना कहाँ आसान था इतना हुआ उम्मीद से ये दिल तही 9 आहिस्ता आहिस्ता शराब-ए-ज़िन्दगी में अब कहाँ पहले सी वो मस्ती तो लो रुख़्सत 10 हुई ये बेख़ुदी 11 आहिस्ता आहिस्ता हुआ है रफ़्ता रफ़्ता 13 इन्केशाफ़-ए-राज़-ए-हस्त-ओ-बूद 14 उठी दिल से सदा-ए-अनहदी 15   आहिस्ता   आहिस्ता हक़ीक़त है , ख़िज़ां 16 के बाद आती हैं बहारें 17 भी ज़मीन-ए-दिल हरी होने लगी आहिस्ता आहिस्ता रह-ए-तक़दीर 18 पर हम वक़्त के हमराह 19 चलते हैं गुज़रती जा रही है ज़िन्दगी आहिस्ता आहिस्ता हमीं "मुमताज़" गुज़रे बारहा 20 इस आज़माइश से कभी यकलख़्त दिल टूटा , कभी आहिस्ता आहिस्ता 1- प्यास , 2- हिलना , 3- अचानक , 4- इच्छा , 5- सुबह को आसमान पर फैलने वाली लाली , 6- चेहरा , 7- ब्लशर , 8-