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Showing posts from February 5, 2019

ख़मोशी का जहाँ है क़ुव्वत-ए-गोयाई से आगे

ख़मोशी का जहाँ है क़ुव्वत-ए-गोयाई से आगे ख़यालों की वो दुनिया है मेरी तन्हाई से आगे बलंदी दम बख़ुद है देख कर परवाज़ ख़्वाबों की तसव्वर ले चला मुझ को हद-ए-बीनाई से आगे चलो यूँ ही सही , मशहूर हो जाए हमारी ज़िद कोई इनआम भी होगा इसी रुसवाई से आगे अगर है हौसला तो फिर उतर कर देख लेते हैं न जाने क्या छुपा हो इस अतल गहराई से आगे ये अक़्ल ओ फ़हम की दुनिया बहुत महदूद है यारो जुनूँ की दास्ताँ तो है हद-ए -दानाई से आगे यहाँ अब ख़त्म होता है सफ़र तन्हा उड़ानों का मेरी परवाज़ पहुंची है हर इक ऊँचाई से आगे चलेंगी साथ कब तक रौनकें इस बज़्म की आख़िर है तन्हाई छुपी इस अंजुमन आराई से आगे मुझे महसूस हो जब भी कि मेरी हद यहाँ तक है मुझे "मुमताज़" ले जाए मेरी गहराई से आगे khamoshi ka jahaN hai quwwat e goyaai se aage khayaaloN ki wo duniya hai meri tanhaai se aage balandi dam ba khud hai dekh kar parwaaz khwaaboN ki tasawwar le chala mujh ko had e beenaai se aage chalo yuN hi sahi, mashhoor ho jaae hamaari zid koi in'aam bhi hoga isi ruswaai se aag