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Showing posts from October 17, 2018

फ़ासला रक्खा, प हर रोज़ मुझे याद किया

फ़ासला रक्खा , प हर रोज़ मुझे याद किया उस सितमगर ने अनोखा सितम ईजाद किया वक़्त के हाथों से इफ़्लास जो मजबूर हुआ हर गुनह दिल ने पस - ए - ग़ैरत - ए - अजदाद किया दिल तो जलता रहे लेकिन न धुआँ उठ पाए मेरी क़िस्मत ने मेरा फ़ैसला इरशाद किया हाथ में अपने सिवा इस के रहा ही क्या है ज़िद में हम आए तो ख़ुद अपने को बरबाद किया ओढ़ कर तेरी तमन्ना का वो बोसीदा सा शाल " जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया " दिल - ए - ज़िंदा में तमन्ना का जहाँ था " मुमताज़ " हम जो वीराने में पहुंचे , उसे आबाद किया فاصلہ   رکّھا , پہ   ہر   روز   مجھے   یاد   کیا اس   ستمگر   نے   انوکھا   ستم   ایجاد   کیا وقت   کے   ہاتھوں   سے   افلاس   جو   مجبور   ہوا ہر   گنہ   دل   نے   پس_غیرت_اجداد   کیا دل   تو   جلتا   رہے   لیکن   نہ ...