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टकराई जब टरक से मेरी कार साफ़ साफ़

टकराई जब टरक से मेरी कार साफ़ साफ़ वो ब्रांड न्यू से बन गई भंगार (कबाड़ ) साफ़ साफ़ मेहमाँ की बेहयाई से कुढ़ता है मेज़बाँ सुन लो हर इक निवाले प् चटखार साफ़ साफ़ अब के हुआ है यूँ मुझे खांसी का आरिज़ा बजने लगा है सांस का हर तार साफ़ साफ़ ख़ारिज हुई ख़िज़ाब की डेट एक्सपायरी चमका सफ़ेद जुल्फों का हर तार साफ़ साफ़ जब से चुनावी वादों का बैठा है सब ग़ुबार आने लगा है तब से नज़र यार साफ़ साफ़ मोदी नितीश की भी तो परतें उधड़ गईं भ्रष्टों का अब नुमायाँ है आचार साफ़ साफ़ मोदी की आन बान से नालाँ हैं जो शरद दिखने लगी है दोनों की यलग़ार साफ़ साफ़ पी . एम . भी अपने मुल्क का अब तो है एम . एम . एस . कोयले की कोठरी में है सरदार साफ़ साफ़ मिसरा दिया था अब्बा ने बेढब , मगर जनाब इज़्ज़त हमारी बच गई इस बार साफ़ साफ़ यारों ने यूँ तो हम प् बड़ी फब्तियां कसीं " मुमताज़" हम बचा गए हर वार साफ़ साफ़ takra i jab truck se meri car saaf saaf wo brand new se ban gai bhangaar saaf saaf mehmaaN ki behayaai se kudhta hai mezbaaN sun lo har ik niwaale pa chatkhaar saaf saa