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ग़ज़ल - हम ने उस के दर से तोहफ़े पाए क्या क्या बेमिसाल

हम ने उस के दर से तोहफ़े पाए क्या क्या बेमिसाल बेकराँ रातें हैं पाई ,      दर्द पाया लाज़वाल   HAM NE US KE DAR SE TOHFE PAAE KYA KYA BEMISAAL BEKARAAN RAATEN HAIN PAAIN DARD PAAYA LAAZAWAAL बारहा यूँ मात खाई है बिसात-ए-ज़ीस्त पर हम समझ पाए कहाँ क़िस्मत की हर पोशीदा चाल BAARAHA YUN MAAT KHAAI HAI BISAAT E ZEEST PAR HAM SAMAJH PAAE KAHAN YE WAQT KI POSHIDA CHAAL रख दिया उसने मसल के दिल का इक इक ज़ाविया रात उस बेदर्द से हमने किया था इक सवाल RAKH DIYA US NE MASAL KE DIL KA IK IK ZAAVIYAA RAAT US BEDARD SE HAM NE KIYA THA IK SAWAAL जाने किन राहों से हो कर गुज़रा था ये क़ाफ़िला है शिकस्ता हर तमन्ना आज ज़ख़्मी है ख़याल JAANE KIN RAAHON SE HO KAR GUZRA THA YE QAAFILAA HAI SHIKASTA HAR TAMANNA AAJ ZAKHMEE HAI KHAYAAL हम ने बढ़ कर जान से महफ़ूज़ रक्खा था तो फिर इश्क़ के इस आईने में आ गया कैसे ये बाल HAM NE BADH KE JAAN SE MEHFOOZ RAKHA THA TO PHIR ISHQ KE IS AAINE MEN AA GAYA KAISE YE BAAL सामने है पै ब पै बरबादियों का सिलसिला जाने क्या अंजाम होगा आ