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Showing posts from November 17, 2011

ग़ज़ल - दिन ज़िन्दगी के हमने गुज़ारे कुछ इस तरह

रक्खे हों दिल पे जैसे शरारे , कुछ इस तरह दिन ज़िन्दगी के हमने गुज़ारे कुछ इस तरह RAKKHE HO'N DIL PE JAISE SHARAARE, KUCHH IS TARAH DIN ZINDGI KE HAM NE GUZAARE KUCHH IS TARAH हस्ती है तार तार , तमन्ना लहू लहू हम ज़िन्दगी की जंग में हारे कुछ इस तरह HASTI HAI TAAR TAAR, TAMANNA LAHOO LAHOO HAM ZINDGI KI JUNG ME'N HAARE KUCHH IS TARAH मिज़गाँ से जैसे टूट के आँसू टपक पड़े टूटे फ़लक से आज सितारे कुछ इस तरह MIZGAA'N SE JAISE TOOT KE AANSOO TAPAK PADE TOOTE FALAK SE AAJ SITAARE KUCHH IS TARAH हसरत , उम्मीद , ख़्वाब , वफ़ा , कुछ न बच सका बिखरे मेरे वजूद के पारे कुछ इस तरह HASRAT, UMMEED, KHWAAB, WAFAA, KUCHH NA BACH SAKA BIKHRE MERE WAJOOD KE PAARE KUCHH IS TARAH सेहरा की वुसअतों में फ़रेब-ए-सराब था करती रही हयात इशारे कुछ इस तरह SEHRA KI WUS'ATO'N ME'N FAREB E SARAAB THA KARTI RAHI HAYAAT ISHAARE KUCHH IS TARAH हम से बिछड़ के जैसे बड़ी मुश्किलों में हो माज़ी पलट के हमको पुकारे कुछ इस तरह HAM SE BICHHAD KE JAISE BADI