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Showing posts from January 2, 2019

अब अपनी जीत को ऐसे भी दाग़दार न कर

अब अपनी जीत को ऐसे भी दाग़दार न कर शिकस्त 1 खाए हुए दुश्मनों पे वार न कर जेहाद-ए-इश्क़ 2 को रुस्वा सर-ए-दयार 3 न कर जिगर के दाग़ ज़माने पे आशकार 4 न कर है फूल फूल तेरी बेक़रारियों पे निसार जूनून-ए-दश्त-नवर्दी 5 , तवाफ़-ए-ख़ार 6 न कर जहान-ए-ज़ुल्म 7 तेरा ख़ाक हो न जाए कहीं उबलते ख़ून के क़तरों 8 का कारोबार न कर वक़ार-ए-शौक़-ए-अना 9 का भी पास रख थोड़ा जूनून 10 में भी गरेबाँ को तार तार न कर रगों के ख़ून से जज़्बों की आबयारी 11 कर तू सरफ़रोशी 12 की ज़िद में तवाफ़-ए-दार 13 न कर फ़रेब देता रहा है क़दम क़दम प् ये दिल तू दिल की बात का "मुमताज़" ऐतबार न कर 1- हार , 2- प्रेम का संघर्ष , 3- शहर के बीच , 4- ज़ाहिर , 5- जंगलों में भटकने का जुनून , 6- काँटों की परिक्रमा , 7- अत्याचार की दुनिया , 8- बूँदों , 9- अहम के शौक़ की गंभीरता , 10- पागलपन , 11- सिंचाई , 12- मर मिटना , 13- फांसी के तख्ते की परिक्रमा ab apni jeet ko aise bhi daaghdaar na kar shikast khaae hue dushmanoN pa waar na kar jehaad e ishq ko ruswa sar e dayaar na kar jig