कितनी तरकीबों से इस दिल को मनाया होगा
कितनी तरकीबों से इस दिल को मनाया होगा दर्द का अक्स ब मुश्किल जो छुपाया होगा हर तमन्ना को लहू दिल का पिलाया होगा तब कहीं उस को निगाहों से गिराया होगा उस को जब तर्क - ए - त ' अल्लुक़ ने सताया होगा जुस्तजू में वो मेरी दूर तक आया होगा लौट आए तेरी देहलीज़ से ये सोच के हम तेरी महफ़िल में बहुत तंज़ ओ क़िनाया होगा चल दिए हम जो , तो ठहरे न किसी तौर मगर माना दिल ने तो बहुत शोर मचाया होगा आई होंगी कई यादें उसे बहलाने को शब् की ...