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Showing posts from December 21, 2018

दिल खोल के तडपाना, जी भर के सितम ढाना

दिल खोल के तडपाना , जी भर के सितम ढाना आता है कहाँ तुम को बीमार को बहलाना वो नर्म निगाहों से आरिज़ 1 का दहक उठना वो लम्स 2 की गर्मी से नस नस का पिघल जाना कुछ तो है जो हर कोई मुश्ताक़ 3 -ए-मोहब्बत है बेचैन   दिमाग़ों   का   है   इश्क़   ख़लल   माना बोहतान 4 शम ' अ पर क्यूँ , ये सोज़ 5 -ए-मोहब्बत है ख़ुद अपनी ही आतिश में जल जाता है परवाना इस अब्र 6 -ए-बहाराँ से फिर झूम के मय बरसे थोडा   जो   मचल   जाए ये फ़ितरत-ए-रिन्दाना 7 लो खोल ही दी अब तो ज़ंजीर-ए-वफ़ा   मैं   ने " जिस मोड़ पे जी चाहे चुपके से बिछड़ जाना" और एक ये भी.... ऐवान-ए-सियासत 8 में क्या क्या न तमाशा हो इन बूढ़े दिमाग़ों के उफ़!!! खेल ये तिफ़्लाना 9 1- गाल , 2- स्पर्श , 3- ख़्वाहिश मंद , 4- झूटा इल्ज़ाम , 5- दर्द , 6- बादल , 7- शराबी तबीयत , 8- राजनीति के पैरोकार , 9- बचकाने dil khol ke tadpaana, jee bhar ke sitam dhaana aata hai kahaN tum ko beemar ko behlaana wo narm nigaahoN se aariz ka dahk uthna wo lams ki garmi se nas nas ka pighal jaana k