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Showing posts from December 26, 2018

बारिश

झमकता   झूमता   बरसा   है   पानी गरज   कर   हो   गए   आमादा   बादल   जंग   करने   को उतरती   आती   हैं   चांदी   की   लड़ियाँ   आसमानों   से इन्हीं   की   लय   पे   बिजली   रक्स   करती   है चमकती   है मचलती   है मचल   कर   जगमगाती   है मैं   खिड़की   पर   खड़ी   हूँ फुहारें   नर्म   नाज़ुक   सी मेरे   गालों   पे   बोसा   दे   रही   हैं और   दिल   मदहोश   होता   जा   रहा   है हवाएं   छेड़ती   हैं   ज़ुल्फ़   ए   बरहम   को ये   बारिश   कितनी   मुद्दत   बाद   आई   है ये   बारिश   आज   बरसों   बाद   आई   है jhamakta jhoomta barsa hai paani garaj kar ho gae aamaada baadal jang karne ko utarti aati haiN chaandi ki ladiyaN aas...