Posts

Showing posts from December 20, 2018

अश्क पीने को शब-ओ-रोज़ अलम1 खाने को

अश्क पीने को शब-ओ-रोज़ अलम 1 खाने को हम जिये जाते हैं नित दर्द नया पाने को ज़िन्दगी जाने कहाँ छोड़ के हम को चल दी हम ज़रा देर जो बैठे यहाँ सुस्ताने को चल पड़ी थीं जो ये दिल छोड़ के सब उम्मीदें हसरतें दूर तलक आई थीं समझाने को एक मोती जो तेरी आँख से टपका है अभी मैं कहाँ रक्खूँ अब इस क़ीमती नज़राने को आज के दौर के बच्चे भी बड़े शातिर हैं अब सुने कौन अलिफ़ लैला के अफ़साने को डाल दी है जो तअस्सुब 2 ने दिलों में अपने मुद्दतें चाहिएँ इस गाँठ के सुलझाने को जिस को कहते हैं मोहब्बत ये ज़माने वाले इक खिलौना है दिल-ए-ज़ार 3 के बहलाने को कोई भी चीज़ कभी हस्ब-ए-ज़रूरत 4 न मिली आख़िरश 5 तोड़ दिया ज़ात के पैमाने को कोई हद ही नहीं "मुमताज़" तबाही की तो फिर हम भी आमादा हैं अब हद से गुज़र जाने को 1- दुख , 2- भेद-भाव , 3- दुखी दिल , 4- ज़रूरत के मुताबिक़ , 5- आख़िरकार اشک پینے کو شب و روز الم کھانے کو ہم جئے جاتے ہیں نت درد نیا پانے کو زندگی جانے کہاں چھوڑ کے ہم کو چل دی ہم ذرا دیر جہ بیٹھے یہاں سستانے کو چل پڑی تھیں جو یہ دل چھوڑ کے سب

यारी

मेरे यार मेरा सरमाया इन जलती हुई राहों में मेरा यार है ठंडा साया ये यारी रहे सलामत ता अबद मासूम लड़कपन के वो खेल सुनहरे इस यारी में कुछ राज़ हैं गहरे गहरे अब भी दिल की गहराई में रौशन हैं मेरे यार की यारी में हैं जो लम्हे ठहरे उन लम्हों का एहसास है अशद हों जिस्म जुदा पर इन में जान वही है दो दिल हैं लेकिन धड़कन एक रही है इस सच्चे रिश्ते में सौ रंग भरे हैं साँसों की लय ने बस इक बात कही है अब हम को जुदा कर पाए बस लहद मेरा यार उजाला है मेरे जीवन का मज़बूत है कच्चा धागा इस बंधन का सब छूटे मेरे यार का साथ न छूटे है यार से रिश्ता दिल की हर धड़कन का ये बात कही है मैं ने मुस्तनद दुनिया में नुमायाँ शान ओ हशम है तेरा मेरे यार पे मेरे मौला करम हो तेरा मेरा यार सलामत है तो जहाँ में सब है मेरा यार नहीं तो क्या है जहाँ में मेरा अल मदद या इलाही अल मदद ये चाँद तारे ये दुनिया निसार हो जाए मेरी तो जान भी सदक़ा-ए-यार हो जाए अता हो अता यार की मुझ को क़ुर्बत सलामत रहे यार मेरा सलामत मैं तोड़ दूँ , हाँ तोड़ दूँ सारी हदें मैं पार कर दूँ तेरी ख़ा