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Showing posts from January 28, 2019

वो हमसफ़र, मेरे हमराह जो चला भी नहीं

वो हमसफ़र , मेरे हमराह जो चला भी नहीं रहा भी साथ हमेशा , कभी मिला भी नहीं तमाम उम्र गुजरने को तो गुज़र भी गई प् बेक़रार सा वो पल कभी टला भी नहीं हुआ है दिल प् जो तारी ये बेहिसी का ख़ुमार सुकून ए दिल भी नहीं है , कोई ख़ला भी नहीं सद आफ़रीन ये ईज़ा परस्तियाँ दिल की कि ज़िन्दगी से मुझे अब कोई गिला भी नहीं चलें जो हम तो ज़माना भी साथ साथ चले हमारे साथ मगर कोई क़ाफ़िला भी नहीं हमारे दर्द से उस को बला की रग़बत थी तो ज़ख्म दिल का कभी हम ने फिर सिला भी नहीं रहा है यूँ तो हर इक ज़ाविया अयाँ , लेकिन ये राज़ ज़ात का हम पर कभी खुला भी नहीं ये और बात कि जीना भी फ़र्ज़ है , लेकिन हयात करने का "मुमताज़" हौसला भी नहीं wo hamsafar, mere hamraah jo chalaa bhi nahiN raha bhi saath hamesha, kabhi milaa bhi nahiN tamaam umr guzarne ko to guzar hi gai pa beqaraar sa wo pal kabhi talaa bhi nahiN hua hai dil pa jo taari ye behisi ka khumaar sukoon e dil bhi nahiN hai, koi khalaa bhi nahiN sad aafreen ye eezaa parastiyaaN dil ki ke zindagi se mujhe