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Showing posts from January 5, 2019

ज़िन्दगी बाक़ी है जब तक, ये सफ़र बाक़ी है

ज़िन्दगी बाक़ी है जब तक , ये सफ़र बाक़ी है दूर तक फैली हुई राहगुज़र बाक़ी है सहमी आँखों में फ़सादात का डर बाक़ी है ये भी क्या कम है ? अभी शानों प सर बाक़ी है जब कि अब दिल में फ़क़त फ़ितना ओ शर बाक़ी है कौन कहता है , दुआओं में असर बाक़ी है दिल में जो जुह्द का जज़्बा है , न कट पाएगा आज़मा लो , कि जो शमशीर ओ तबर बाक़ी है हमसफ़र सारे जुदा हो गए रफ़्ता रफ़्ता इक दिल ए नातवाँ , इक दीदा ए तर बाक़ी है देख लो तुम , कि जो हक़ है , वो नहीं छुप सकता वो भी रख दो , कोई इलज़ाम अगर बाक़ी है मुद्दतें हो गईं जन्नत से निकल कर , लेकिन नस्ल ए इंसान के दिल में अभी शर बाक़ी है धार ख़ंजर में है जिस के , वो मुक़ाबिल आए एक "मुमताज़" अभी सीना सिपर बाक़ी है   zindagi baaqi hai jab tak, ye safar baaqi hai door tak phaili hui raahguzar baaqi hai sahmi aankhoN meN fasaadaat ka dar baaqi hai ye bhi kya kam hai? abhi shaanoN pa sar baaqi hai jab ke ab dil meN faqat fitna o shar baaqi hai kaun kehta hai, duaaoN meN asar baaqi hai dil meN jo juhd ka jazbaa hai, na kat pa