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Showing posts from April 25, 2019

यूँ ही थका न मेरी ज़िन्दगी गुज़र के मुझे

यूँ ही थका न मेरी ज़िन्दगी गुज़र के मुझे उतारने हैं अभी क़र्ज़ उम्र भर के मुझे मुझे बलंद उड़ानों से खौफ़ आने लगा फ़रेब याद रहे अपने बाल-ओ-पर के मुझे मिटा के बारहा तामीर मुझ को करता रहा वजूद देता रहा ज़िन्दगी बिखर के मुझे ख़फ़ा हूँ अब तो मनाने के वास्ते कब से पुकारती है मेरी ज़िन्दगी संवर के मुझे नुक़ूश छोडती जाती हैं रेशमी यादें गुज़रता जाता है हर पल उदास कर के मुझे मैं मस्लेहत के हिसारों में क़ैद हूँ कब से जूनून छोड़ गया मेरे पर कतर के मुझे मुझे पलटने न देगी मेरी अना लेकिन " बुला रहा है कोई बाम से उतर के मुझे" हयात नाम है पैहम जेहाद का यारो सुकून आएगा "मुमताज़" अब तो मर के मुझे yuN hi thaka na meri zindagi guzar ke mujhe utaarne haiN abhi qarz umr bhar ke mujhe mujhe baland udaanoN se khauf aane laga fareb yaad rahe apne baal-o-par ke mujhe mita ke barahaa taamir mujh ko karta raha wajood deta raha zindagi bikhar ke mujhe khafaa hooN ab to manaane ke waaste kab se pukaarti hai meri zindagi sanwar ke mujhe n