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Showing posts from February 11, 2019

नज़्म - बाज़ार

यहाँ हर चीज़ बिकती है कहो क्या क्या ख़रीदोगे یہاں ہر چیز بکتی ہے کہو کیا کیا خریدوگے यहाँ पर मंसब-ओ-मेराज की बिकती हैं ज़ंजीरें अना को काट देती हैं ग़ुरूर-ओ-ज़र की शमशीरें यहाँ बिकता है तख़्त-ओ-ताज बिकता है मुक़द्दर भी ये वो बाज़ार है बिक जाते हैं इस में सिकंदर भी यहाँ बिकती है ख़ामोशी भी , लफ़्फ़ाज़ी भी बिकती है ज़मीर-ए-बेनवा की हाँ अना साज़ी भी बिकती है یہاں پر منصب و معراج کی بکتی ہیں زنجیریں انا کو کاٹ دیتی ہیں غرور و زر کی شمشیری یہاں بکتا ہے تخت و تاج بکتا ہے مقدر بھی یہ وہ بازار ہے، بک جاتے ہیں اس میں سکندر بھی یہاں بکتی ہے خاموشی بھی، لفاظی بھی بکتی ہے ضمیرِ بے نوا کی ہاں انا سازی بھی بکتی ہے दुकानें हैं सजी देखो यहाँ पर हिर्स-ओ-हसरत की हर इक शै मिलती है हर क़िस्म की , हर एक क़ीमत की यहाँ ऐज़ाज़ बिकता है , यहाँ हर राज़ बिकता है यहाँ पर हुस्न बिकता है , अदा-ओ-नाज़ बिकता है सुख़न बिकता है , बिक जाती है शायर की ज़रुरत भी यहाँ बिकती है फ़नकारी , यहाँ बिकती है शोहरत भी यहाँ पर ख़ून-ए-नाहक़ बिकता है , बिकती हैं लाशें भी यहाँ बिकती हैं तन मन पर पड़ी ताज़ा