साँसों का तार हम को तो इक जाल हो गया
साँसों का तार हम को तो इक जाल हो गया अब क्या कहें हयात का क्या हाल हो गया टुकड़ों में बंट गया है मेरा अक्स-ए-ज़ात भी ये इश्क़ दिल के शीशे पे इक बाल हो गया हिम्मत भी अब के टूट गई पर के साथ साथ मेरा जुनूँ भी अब के तो पामाल हो गया ये आईना हयात का बे आब जो हुआ घबरा के मेरा अक्स भी ब दहा ल हो गया दौर-ए-जदीद की ये इनायत भी देखिये जो रहनुमा बना वही दज्जाल हो गया दीवानों से किसी को शिकायत भी क्यूँ रहे मेरा जुनून मेरे लिए ढाल हो गया “ मुमताज़ ” ऐसी आम हुई मुफ़लिसी कि अब इंसान का ज़मीर भी कंगाल हो गया saansoN ka taar ham ko to ik jaal ho gaya ab kya kaheN hayaat ka kya haal ho gaya tukdoN meN bant gaya hai mera aks-e-zaat bhi ye ishq dil ke sheeshe pe ik baal ho gaya himmat bhi ab ke toot gai par ke saath saath mera junooN bhi ab ke to paamaal ho gaya ye aaina hayaat ka be aab jo hua ghabra ke mera aks bhi bad haal ho gaya daur-e-jadeed kee ye inaayat bhi dekhiye jo rahnuma bana wahi dajjaa...