ख़्वाब और सच
अगर ऐसा कभी हो तो ? अगर हर ख़्वाब बन जाए हक़ीक़त तो ? तो आख़िर क्या करोगे ? आज ये इक दोस्त ने पूछा तो मेरे ज़हन में इक ज़लज़ला सा आ गया यारो मेरे दिल ने कहा हर ख़्वाब बन जाए हक़ीक़त तो तो ख़्वाबों के हसीं मंज़र सभी वीरानों में तब्दील हो जाएँ हो चारों सिम्त तपते रेगज़ारों की तमाज़त और हर उम्मीद का फिर ख़ून हो जाए बिखर जाए सियाही हर तजल्ली पर हर इक हसरत का चेहरा ज़र्द हो जाए बड़ा ही ख़ौफ़नाक अंजाम हो हर ख़्वाब का यारो तसव्वर ये मुझे वहशतज़दा सा कर गया है मेरा दिल कह रहा है कि जिस दिन ख़्वाब बन जाएँगे सच्चाई मैं उस दिन ख़्वाब बुनना छोड़ दूँगी