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ग़ज़ल - हर मुसाफ़िर आप में इक कारवाँ हो जाएगा

हर मुसाफ़िर आप में इक कारवाँ हो जाएगा चल पड़े गर तू तो ख़ुद इक दास्ताँ हो जाएगा har musafir aap men ik kaarwaaN ho jaaega chal pade gar  tu to khud ik daastaaN ho jaaega तू सफ़र अपना शुरू कर , धूप की तेज़ी न देख तपता सूरज तेरी ख़ातिर सायबाँ हो जाएगा tu safar apna shuru kar dhoop ki tezi na dekh tapta sooraj teri khaatir saaybaaN ho jaaega मंज़िलों की सिम्त बढ़ जाएँगे ख़ुद तेरे क़दम रास्ता हर एक तेरा राज़दाँ हो जाएगा manzilon ki samt badh jaaenge khud tere qadam raastaa har ek tera raazdaaN ho jaaega ये तकब्बुर , ये तफ़ख़्ख़ुर , ये अना सब रायगाँ जितना सिमटेगा तू उतना बेकराँ हो जाएगा ye takabbur ye tafakkhur ye anaa, sab raaygaaN jitna simtega tu utna bekaraaN ho jaaega जुस्त को महदूद मत कर , सोच को परवाज़ दे तू नज़र को वुसअतें दे , आस्माँ हो जाएगा just ko mehdood mat kar soch ko parwaaz de tu nazar ko wus'aten de, aasmaaN ho jaaega इस ज़मीं को नाप ले , रख आस्माँ पर तू क़दम दोनों आलम पर तू इक दिन हुक्मराँ हो जाएगा is zameeN ko naap le r

ग़ज़ल - सारे आलम में यूँ ही इक हश्र बरपा छोड़ दूँ

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सारी वहशत , हर तड़प को अब तरसता छोड़ दूँ अब अज़ाबों का ये सेहरा यूँ ही जलता छोड़ दूँ SAARI WAHSHAT, HAR TADAP KO AB TARASTA CHHOD DOO'N AB AZAABO'N KA YE SEHRA YU'N HI JALTA CHHOD DOO'N सारे आलम में यूँ ही इक हश्र बरपा छोड़ दूँ मेरी वहशत का तक़ाज़ा है कि दुनिया छोड़ दूँ SAARE AALAM ME'N YU'N HI IK HASHR BARPAA CHHOD DOON MERI WAHSHAT KA TAQAAZA HAI KE DUNIYA CHHOD DOON जी में आता है , मिटा डालूँ मुक़द्दर का निज़ाम हर तमन्ना , हर ख़ुशी , हर ग़म को तन्हा छोड़ दूँ JEE ME'N AATA HAI MITAA DAALOON MUQADDAR KA NIZAAM HAR TAMANNA HAR KHUSHI HAR GHAM KO TANHAA CHHOD DOON अपने हाथों की लकीरों को मिटा डालूँ मगर दिल के हर टुकड़े पे कोई नाम लिक्खा छोड़ दूँ APNE HAATHO'N KI LAKEERE'N TO MITA DAALOO'N MAGAR DIL KE HAR TUKDE PE KOI NAAM LIKKHA CHHOD DOO'N भरते भरते बारहा ख़ुद नोच डाला है तो फिर अब तो दिल के ज़ख़्म को मैं यूँ ही ताज़ा छोड़ दूँ BHARTE BHARTE BAARHAA KHUD NOCH DAALA HAI TO PHIR AB TO DIL KE ZAKHM KO MAIN YU'

ग़ज़ल - दो जागी सोई हुई सी आँखों का ख़्वाब था वो

  दो जागी सोई हुई सी आँखों का ख़्वाब था वो मेरी तमन्नाओं के फ़ुसूँ का जवाब था वो DO JAAGI SOI HUI SI AANKHO'N KA KHWAAB THA WO MERI TAMANNAO'N KE FUSOO'N KA JAWAAB THA WO हर इक अँधेरे का , रौशनी का हिजाब था वो हमारी हस्ती के राज़-ए-पिन्हाँ का बाब था वो HAR IK ANDHERE KA RAUSHNI KA HIJAAB THA WO HAMAARI HASTI KE RAAZ E PINHAA'N KA BAAB THA WO अता किए थे तमाम कर्ब-ओ-मलाल दिल को जो मुझ पे नाज़िल हुआ था ऐसा अज़ाब था वो ATAA KIYE THE TAMAAM KARB O MALAAL DIL KO JO MUJH PE NAAZIL HUA THA AISA AZAAB THA WO था दिल की दुनिया की सल्तनत का वो शाहज़ादा मोहब्बतों की खुली हुई इक किताब था वो THA DIL KI DUNIYA KI SALTNAT KA WO SHAAHZAADA MOHABBATO'N KI KHULI HUI IK KITAAB THA WO क़रीबतर था , मगर रहा कितने फ़ासले पर जहान-ए-हसरत की सरज़मीं का सराब था वो QAREEB TAR THA MAGAR RAHA KITNE FAASLE PAR JAHAAN E HASRAT KI SARZAMEE'N KA SARAAB THA WO हर एक ख़्वाब-ए-फ़ुसूँ की ताबीर बन के आया हयात कितनी हसीं थी जब हमरक़ाब था वो HAR EK KHWAAB E FU

ग़ज़ल - मसर्रतों की ज़मीं पर ये कैसी शबनम है

मसर्रतों की ज़मीं पर ये कैसी शबनम है ग़ुबार कैसा है सीने में , मुझ को क्या ग़म है MASARRATO'N KI ZAMEE'N PAR YE KAISI SHABNAM HAI GHUBAAR KAISA HAI SEENE ME'N, MUJH KO KYA GHAM HAI क़दम क़दम पे बिछे हैं हज़ारों ख़ार यहाँ ज़रा संभल के चलो , रौशनी अभी कम है QADAM QADAM PE BICHHE HAI'N HAZAARO'N KHAAR YAHA'N ZARA SAMBHAL KE CHALO, ROSHNI ABHI KAM HAI ज़रा जो हँसने की कोशिश की , आँख भर आई शगुफ़्ता ख़ुशियों पे महरूमियों का मौसम है ZARAA JO HANSNE KI KOSHISH KI, AANKH BHAR AAI SHAGUFTAA KHUSHIYO'N PE MEHROOMIYO'N KA MAUSAM HAI थकी थकी सी तमन्ना , उदास उदास उम्मीद बुझा बुझा सा कई दिन से दिल का आलम है THAKI THAKI SI TAMANNA, UDAAS UDAAS UMMEED BUJHA BUJHA SA KAI DIN SE DIL KA AALAM HAI जलन से तपने लगी है फ़ज़ा-ए-सहरा-ए-दिल हर एक साँस मेरी ज़िन्दगी का मातम है JALAN SE TAPNE LAGI HAI FIZAA E SEHRA E DIL HAR EK SAANS MERI ZINDGI KA MAATAM HAI खिली खिली सी हँसी पर जमी जमी सी ख़लिश तरब के ज़ख़्म पे ख़ुशफ़हमियों का मरहम है K

ग़ज़ल - जब यार पुराने मिलते हैं

माज़ी के निशाँ और हाल का ग़म जब एक ठिकाने मिलते हैं कुछ और चुभन बढ़ जाती है जब यार पुराने मिलते हैं MAAZI KE NISHAA'N AUR HAAL KA GHAM JAB EK THIKAANE MILTE HAI'N KUCHH AUR CHUBHAN BADH JAATI HAI, JAB YAAR PURAANE MILTE HAI'N कुछ दर्द के तूफ़ाँ उठते हैं , कुछ आग ख़ुशी की जलती है इक हश्र बपा हो जाता है जब दोनों ज़माने मिलते हैं KUCHH DARD KE TOOFAA'N UTHTE HAI'N  KUCHH AAG KHUSHI KI JALTI HAI IK HASHR BAPAA HO JAATA HAI, JAB DONO'N ZAMAANE MILTE HAI'N उस लज़्ज़त से महरूम हुए गो एक ज़माना बीत गया अब भी वो हमें महरूमी का एहसास दिलाने मिलते हैं US LAZZAT SE MEHROOM HUE GO EK ZAMAANA BEET GAYA AB BHI WO HAME'N MEHROOMI KA EHSAAS DILAANE MILTE HAI'N घर छोड़ के जाना पड़ता है , दिन रात मिलाने पड़ते हैं पुरज़ोर मशक़्क़त से यारो कुछ रिज़्क़ के दाने मिलते हैं GHAR CHHOD KE JAANA PADTA HAI, DIN RAAT MILAANE PADTE HAI'N PURZOR MASHAQQAT SE YAARO, KUCHH RIZQ KE DAANE MILTE HAI'N अब तक तो फ़ज़ा-ए-ज़हन में भी वीरान ख़िज़ाँ का मौसम है

ग़ज़ल - शब का इक एक पल पिघलता है

शब का इक एक पल पिघलता है जब भी सूरज नया निकलता है SHAB KA IK EK PAL PIGHALTA HAI JAB BHI SOORAJ NAYA NIKALTA HAI जब भी माज़ी का जायज़ा लीजे ज़हन का कोना कोना जलता है JAB BHI MAAZI KA JAAIZA LIJE ZEHN KA KONA KONA JALTA HAI मिलना अहबाब से तो दूर , अब तो ज़िक्र भी दोस्तों का खलता है MILNA EHBAAB SE TO DOOR, AB TO ZIKR BHI DOSTON KA KHALTA HAI अब करें क्या हयात की सूरत ज़हन में इक सवाल उबलता है AB KAREN KYA HAYAAT KI SOORAT IK ZEHN MEN SAWAAL UBALTA HAI वो मक़ाम आ गया जहाँ से अब अपना हर रास्ता बदलता है WO MAQAAM AA GAYA JAHAN SE AB APNA HAR RAASTA BADALTA HAI हर ख़ुशी , हर तमन्ना , हर जज़्बा दिल को सूरत बदल के छलता है HAR KHUSHI, HAR TAMANNA, HAR JAZBA DIL KO SOORAT BADAL KE CHHALTA HAI सिर्फ़ शम ’ अ नहीं अब इस घर में रात भर दिल भी साथ जलता है IK SHAMA'A HI NAHIN AB IS GHAR MEN RAAT BHAR DIL BHI SAATH JALTA HAI बारहा टूट कर भी दिल वो है फिर धड़कता है , फिर मचलता है BAARHAA TOOT KAR BHI DIL WO HAI PHIR DHADAKTA HAI

ग़ज़ल - ये बोझ ज़हन पे रक्खा है मसअले की तरह

ये बोझ ज़हन पे रक्खा है मसअले की तरह ज़मीर जागता रहता है आईने की तरह YE BOJH ZEHN PE RAKHA HAI MAS'ALE KI TARAH ZAMEER JAAGTA REHTA HAI AAINE KI TARAH था लेन देन का सौदा , हज़ार शर्तें थीं किया था इश्क़ भी हमने मुआहिदे की तरह THA LEN DEN KA SAUDA, HAZAAR SHARTE'N THI'N KIYA THA ISHQ BHI HAM NE MUAAHIDE KI TARAH बहुत सुकून में वहशत सी होने लगती है हमें तो दर्द-ओ-अलम भी है मशग़ले की तरह BAHOT SUKOON ME'N WEHSHAT SI HONE LAGTI HAI HAME'N TO DARD O ALAM BHI HAI MASHGHALE KI TARAH ज़रा जो वक़्त मिला तो इधर भी देख लिया तेरी हयात में हम थे , प हाशिये की तरह ZARA JO WAQT MILA TO IDHAR BHI DEKH LIYA TERI HAYAAT ME'N HAM THE, PA HAASHIYE KI TARAH करे सलाम भी एहसान की तरह अक्सर हमारा हाल भी पूछे तो वो गिले की तरह KARE SALAM BHI EHSAAN KI TARAH AKSAR HAMARA HAAL BHI POOCHHE TO WO GILE KI TARAH हमेशा लड़ते रहे वक़्त के थपेड़ों से हयात सारी की सारी थी ज़लज़ले की तरह HAMESHA LADTE RAHE WAQT KE THAPEDO'N SE HAYAAT SAARI KI SAA