ग़ज़ल - ये बोझ ज़हन पे रक्खा है मसअले की तरह

ये बोझ ज़हन पे रक्खा है मसअले की तरह
ज़मीर जागता रहता है आईने की तरह
YE BOJH ZEHN PE RAKHA HAI MAS'ALE KI TARAH
ZAMEER JAAGTA REHTA HAI AAINE KI TARAH

था लेन देन का सौदा, हज़ार शर्तें थीं
किया था इश्क़ भी हमने मुआहिदे की तरह
THA LEN DEN KA SAUDA, HAZAAR SHARTE'N THI'N
KIYA THA ISHQ BHI HAM NE MUAAHIDE KI TARAH

बहुत सुकून में वहशत सी होने लगती है
हमें तो दर्द-ओ-अलम भी है मशग़ले की तरह
BAHOT SUKOON ME'N WEHSHAT SI HONE LAGTI HAI
HAME'N TO DARD O ALAM BHI HAI MASHGHALE KI TARAH

ज़रा जो वक़्त मिला तो इधर भी देख लिया
तेरी हयात में हम थे, प हाशिये की तरह
ZARA JO WAQT MILA TO IDHAR BHI DEKH LIYA
TERI HAYAAT ME'N HAM THE, PA HAASHIYE KI TARAH

करे सलाम भी एहसान की तरह अक्सर
हमारा हाल भी पूछे तो वो गिले की तरह
KARE SALAM BHI EHSAAN KI TARAH AKSAR
HAMARA HAAL BHI POOCHHE TO WO GILE KI TARAH

हमेशा लड़ते रहे वक़्त के थपेड़ों से
हयात सारी की सारी थी ज़लज़ले की तरह
HAMESHA LADTE RAHE WAQT KE THAPEDO'N SE
HAYAAT SAARI KI SAARI THI ZALZALE KI TARAH

ज़रा कुछ अपनी सुनाता, ज़रा मेरी सुनता
कभी तो राब्ता करता वो राब्ते की तरह
ZARA KUCHH APNI SUNATA ZARA MERI SUNTA
KABHI TO RAABTA KARTA WO RAABTE KI TARAH

ख़याल-ओ-ख़्वाब का हर ज़ाविया अधूरा है
तपक रहा है दिल-ओ-ज़हन आबले की तरह
KHAYAAL O KHWAAB KA HAR ZAAVIYA ADHOORA HAI
TAPAK RAHA HAI DIL O ZEHN AABLE KI TARAH

क़रार में भी अजब एक बेक़रारी थी
हमें सुकून मिला भी तो आरिज़े की तरह
QARAAR ME'N BHI AJAB EK BEQARAARI THI
HAME'N SUKOON MILA BHI TO AARIZE KI TARAH

ज़रा हो कम तो तलब दर्द की सिवा हो जाए
अज़ाब भी तो है मुमताज़ इक नशे की तरह
ZARA HO KAM TO TALAB DARD KI SIWA HO JAAE
AZAAB BHI TO HAI 'MUMTAZ' IK NASHE KI TARAH


मुआहिदा - agreement, अलम दुख, मशग़ले शौक़, हयात जीवन, गिला शिकायत, ज़लज़ला भूकंप, राब्ता संपर्क, ज़ाविया पहलू, तपक रहा है टीस रहा है, आबला छाला, आरिज़ा बीमारी, अज़ाब यातना 

Comments

Popular posts from this blog

ज़ालिम के दिल को भी शाद नहीं करते