जफ़ा परस्त है, ख़ुद सर है, क्या किया जाए
जफ़ा परस्त 1 है , ख़ुद सर 2 है , क्या किया जाए वो मेरी ज़ात 3 का महवर 4 है , क्या किया जाए बचा के रक्खें कहाँ ज़िंदगी का सरमाया 5 सितम के हाथ में ख़ंजर हैं क्या किया जाए चराग़-ए-ज़ीस्त 6 की लौ माँद पड़ती जाती है बदन भी अब मेरा लाग़र 7 है क्या किया जाए हमें तो पार उतरना है आज ही लेकिन ग़ज़ब 8 में आज समंदर है क्या किया जाए हज़ार उस को जिताने का शौक़ है उस को शिकस्त 9 का वही ख़ूगर 10 है क्या किया जाए फ़रार 11 ढूँढते आए हैं जिस से हम अब तक वो इम्तेहान तो सर पर है क्या किया जाए हटी है कहकशाँ 12 “मुमताज़” अपने महवर से ग़ज़ब में दावर-ए-महशर 13 है क्या किया जाए 1- बेवफ़ाई की पूजा करने वाला , 2- ज़िद्दी , 3- व्यक्तित्व , 4- धुरी , 5- पूँजी , 6- ज़िंदगी का दिया , 7- कमज़ोर , 8- ग़ुस्सा , 9 - मात , 10- आदी , 11- भागना , 12- आकाश गंगा , 13- महशर उठाने वाला (अल्लाह)