दिल खोल के तडपाना, जी भर के सितम ढाना
दिल खोल के तडपाना,
जी भर के सितम ढाना
आता है कहाँ तुम को बीमार को बहलाना
वो नर्म निगाहों से आरिज़1 का दहक उठना
वो लम्स2 की गर्मी से नस नस का पिघल जाना
कुछ तो है जो हर कोई मुश्ताक़3-ए-मोहब्बत है
बेचैन दिमाग़ों का है इश्क़ ख़लल माना
बोहतान4 शम'अ पर क्यूँ,
ये सोज़5-ए-मोहब्बत है
ख़ुद अपनी ही आतिश में जल जाता है परवाना
इस अब्र6-ए-बहाराँ से फिर झूम के मय बरसे
थोडा जो मचल जाए
ये फ़ितरत-ए-रिन्दाना7
लो खोल ही दी अब तो ज़ंजीर-ए-वफ़ा मैं ने
"जिस मोड़ पे जी चाहे चुपके से बिछड़ जाना"
और एक ये भी....
ऐवान-ए-सियासत8 में क्या क्या न तमाशा हो
इन बूढ़े दिमाग़ों के उफ़!!! खेल ये तिफ़्लाना9
1- गाल, 2- स्पर्श, 3- ख़्वाहिश
मंद, 4- झूटा इल्ज़ाम, 5- दर्द, 6- बादल, 7- शराबी तबीयत, 8- राजनीति
के पैरोकार, 9- बचकाने
dil khol ke tadpaana,
jee bhar ke sitam dhaana
aata hai kahaN tum ko
beemar ko behlaana
wo narm nigaahoN se
aariz ka dahk uthna
wo lams ki garmi se
nas nas ka pighal jaana
kuchh to hai jo har
koi mushaaq e mohabbat hai
bechain dimaaghoN ka
hai ishq khalal maana
bohtaan shama'a par
kyuN, ye soz e mohabbat hai
khud apni hi aatish
meN jal jaata hai parwaana
is abr e bahaaraaN
meN phir jhoom ke may barse
thoda jo machal jaae
ye fitrat e rindaana
lo khol hi di ab to
zanjeer e wafaa maiN ne
jis mod pe jee chaahe
chupke se bichhad jaana
aur ek ye bhi....
aiwaan e siyaasat meN
kya kya na tamaasha ho
in boodhe dimaaghoN
ke uff!!!khel ye tiflana
ऐवान-ए-सियासत8 में क्या क्या न तमाशा हो
ReplyDeleteइन बूढ़े दिमाग़ों के उफ़!!! खेल ये तिफ़्लाना9