जुनून
जान
ब लब गुस्ताख़ इरादे
आज
हर इक दीवार गिरा दे
दिल
को जुनूँ में मस्त बना दे
इश्क़
की ख़ातिर ख़ुद को मिटा दे
पी
ले ज़हर महबूब की ख़ातिर
मिट
जाए मन्सूब की ख़ातिर
इश्क़
का जज़्बा काम आ जाए
आज
लबों तक जाम आ जाए
बेख़ुद
हो कर रक़्स-ए-जुनूँ हो
बेताबी
में दिल को सुकूँ हो
सारा
ज़माना, सारी ख़ुदाई
दिल
की हुकूमत में है समाई
मस्त-ए-मोहब्बत
शाह-ए-ज़माना
इश्क़
की दौलत दिल का ख़ज़ाना
ज़ख़्म को गुल अंदाम बना दे
दर्द को तू एहराम बना दे
रौशन हो जाएँ दो आलम
ऐसी तू इक शमअ जला दे
जिस
में फ़ना हो आलम सारा
ऐसा
तू इक हश्र उठा दे
हस्ती
को उल्फ़त पे मिटा कर
हस्ती
की तक़दीर बना दे
जान
ब लब – जान हथेली पर रखना, गुस्ताख़ –
उद्दंड, मन्सूब – जिस से संबंध हो, रक़्स-ए-जुनूँ – पागलपन का नाच, गुल अंदाम – फूल के रंग का, एहराम
– पवित्र पोशाक, हश्र – प्रलय
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