कभी मुझ को बनाते हो, कभी मुझ को मिटाते हो
एक हसीन इंग्लिश पोयम का मंज़ूम तर्जुमा तरह- you won’t say yes, you won’t say no कभी मुझ को बनाते हो , कभी मुझ को मिटाते हो ये कैसी कश्मकश है , क्यूँ मुझे तुम आज़माते हो शिकस्ता दिल तड़पता है तो तुम क्या मुस्कराते हो ज़रा सी मुस्कराहट से कई फ़ित्ने जगाते हो अज़ाबों के मुसलसल खेल में क्या लुत्फ़ पाते हो हमेशा दिल की बातें जान-ए-जाँ हम से छुपाते हो मचलता है , तड़पता है , तड़प कर मुस्कराता है मेरे दिल को अजब ख़दशात में तुम छोड़ जाते हो कभी जानाँ मेरी तक़दीर का भी फ़ैसला कर दो मुझे बेचैनियों के दायरों में क्यूँ घुमाते हो कभी ख़ुशफ़हमियों के आस्माँ पर रख दिया मुझ को बलन्दी से ज़मीं पर फिर कभी पल में गिराते हो हुए हैं तानाज़न अहबाब भी अब मेरी हालत पर इजाज़त हो तो कह दूँ , क्या सितम तुम मुझ पे ढाते हो अजब तर्ज़-ए-मसीहाई , ग़ज़ब तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है तज़बज़ुब के ये कैसे ख़्वाब तुम मुझ को दिखाते हो जिधर जाऊँ , जिधर देखूँ , सराबों का तसलसुल है मुझे “ मुमताज़ ” दश्त-ए-आरज़ू में क्या फिराते हो O riginal creation you won't say yes you won't s