ज़िंदगी तेरे इंतज़ार में है
ज़िंदगी तेरे इंतज़ार में है इक ख़िज़ाँ इस बरस बहार में है वुसअतें बढ़ रही हैं राहों की वर्ना मंज़िल तो इंतज़ार में है हो सके तो तू ढूंढ ले हमको ये तो बस तेरे इख़्तियार में है एक ख़मोशी है रूह से दिल तक एक ख़ामोशी रेगज़ार में है उसको रुख़सत हुए ज़माना हुआ आँख उलझी अभी ग़ुबार में है वहशी , आवारासिफ़त , बदक़िस्मत दिल अभी तक इसी शुमार में है तेरी तस्वीर , तेरा नक़्श-ओ-निगार आज तक चश्म-ए-अश्कबार में है मेरी “ मुमताज़ ” ये बेख़्वाब निगाह आज तक तेरे इंतज़ार में है