महंगाई मार गई (बुरा न मानो...होली है)
दीवाली
को लाए जो मिठाई मार गई
सर्दी
में रज़ाई की बनवाई मार गई
सियासी
सियारों की रंगाई मार गई
भाजपा
की हम को भाजपाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
पिछले
साल बारिश न आई मार गई
अब
के साल हो कर भी भाई मार गई
अबके
बम्पर फ़स्ल की कमाई मार गई
किसानों
ने लागत न पाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
सदन
में नेताओं की जम्हाई मार गई
जनता
को मनमोहन की भलाई मार गई
कुछ
तो रिश्वतख़ोरों की ढिठाई मार गई
कॉमन
वेल्थ खेलों की मलाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
किंगफ़िशर
कलेंडर की नंगाई मार गई
माल्या
ने खाई वो मलाई मार गई
क़र्ज़
ले के भागे तो भगाई मार गई
हमको
इनके क़र्ज़े की भरपाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
कुछ
तो हमें जियो की कमाई मार गई
और
कुछ मुकेश की भलाई मार गई
दूध
में पड़ी है जो खटाई मार गई
मल्टीनेशनल
चोरों की कमाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
कुछ
तो नोटबंदी की सच्चाई मार गई
और
कुछ ये मोदी की सफ़ाई मार गई
जम
के इनकम टैक्स की खिंचाई मार गई
हम
को अच्छे दिनों की अच्छाई मार गई
बाक़ी
कुछ बचा तो महंगाई मार गई
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