आओ कुछ देर रो लिया जाए
आओ
कुछ देर रो लिया जाए
दिल
के दाग़ों को धो लिया जाए
आज
ज़हनों की इन ज़मीनों पर
प्यार
का बीज बो लिया जाए
वो
लहू आँख से जो टपका है
रग-ए-जाँ
में पिरो लिया जाए
ज़ुल्म
का हर नफ़स पे पहरा है
अब
तो ख़ामोश हो लिया जाए
है
थकन हद से ज़ियादा “मुमताज़”
हो
जो फ़ुरसत तो सो लिया जाए
Comments
Post a Comment