नज़्म – इन्तेसाब
ये
बेकल तमन्ना ये बेताब ख़्वाहिश
ये
दिल में दबी मीठी मीठी सी आतिश
घनी
ज़ुल्फ़ का रेशमी ये अंधेरा
मेरी
सारी शामें, मेरा हर सवेरा
ये
लरज़ाँ से लब, ये निगाहों की मस्ती
ये
हसरत, ये एहसास की बुतपरस्ती
ये
ज़ुल्फ़ों के साए, ये पलकों की चिलमन
ये
लग़्ज़िश ख़यालों की, ये दिल की धड़कन
ये
सब जान-ए-जानाँ तुम्हारे लिए हैं
तुम्हारे
लिए दिल धड़कता है मेरा
ये
आरिज़, ये लब, ये बदन, ये निगाहें
तुम्हारे
लिए मुंतज़िर हैं ये बाहें
मोहब्बत
की हर दास्ताँ भी तुम्हारी
ये
दिल भी तुम्हारा, ये जाँ भी तुम्हारी
इन्तेसाब – समर्पण, आतिश – आग, लरज़ाँ – काँपते हुए, बुतपरस्ती – मूर्ति पूजा, चिलमन
– पारभासी पर्दा, लग़्ज़िश – लड़खड़ाना, आरिज़ – गाल, मुंतज़िर – इंतज़ार में
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