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किरदार-ए-फ़न, उलूम के पैकर भी आयेंगे

किरदार - ए - फ़न , उलूम के पैकर भी आयेंगे मुस्तक़बिलों की गोद में बेहतर भी आयेंगे उम्मीद का किवाड़ खुला छोड़ दे रफ़ीक़ ऊबेंगे हम जो दश्त से तो घर भी आयेंगे लहरों से जंग करने का रखते हैं हौसला तो फिर हमारे हाथ में गौहर भी आयेंगे ज़ब्त - ए - सितम का ख़ुम भी छलक जाएगा कभी सैलाब ज़हर के कभी बाहर भी आयेंगे हम चूमने चले हैं फ़लक की बलंदियाँ क़दमों तले हमारे अब अख़्तर भी आयेंगे " मुमताज़ " जी ज़माने की बातों का खौफ़ क्या फलदार है दरख़्त तो पत्थर भी आयेंगे کردار_فن , علوم   کے   پیکر   بھی   آینگے مستقبلوں   کی   گود   میں   بہتر   بھی   آینگے امید   کا   کواڑ   کھلا   چھوڑ دے   رفیق اوبنگے   ہم   جو   دشت   سے   تو   گھر   بھی   آینگے لہروں   سے   جنگ   کرنے   کا   رکھتے   ہیں   حوصلہ تو   پھر   ہمارے   ہاتھ   میں   گوہر   بھی   آینگے ضبط_ستم   کا   خم   بھی   چھلک   جاےگا   کبھی سیلاب   زہر   کے   کبھی   باہر   بھی   آینگے ہم   چومنے

मोड़ फिर आ गया फसाने में

मोड़ फिर आ गया फसाने में इश्क़ रुसवा हुआ ज़माने में हर हक़ीक़त भी एक धोका है और मज़ा है फरेब खाने में दिल में क्या क्या थे राज़ पोशीदा बरसों गुज़रे उसे बताने में रिज़्क़ तुझ को तलाश कर लेगा नाम लिक्खा है दाने दाने में एक पल में हयात रूठी थी उम्र गुज़री उसे मनाने में ग़म की दौलत से हाथ धो लेंगे क्या मिलेगा उसे भुलाने में खो गई है मेरी ज़मीं “मुमताज़” आस्माँ को ज़मीं पे लाने में

जमूद अंगेज़ ईमाँ में भंवर आना ज़रूरी है

जमूद अंगेज़ ईमाँ में भंवर आना ज़रूरी है अब इक तूफ़ान - ए - इबरत का इधर आना ज़रूरी है गुमाँ के मोड़ से आगे सफ़र जारी जो रखना हो तो फिर माज़ी के मरने की ख़बर आना ज़रूरी है बलंदी चाहिए परवाज़ में तो ऐ मेरे ख़्वाबो शजर पर दिल के हसरत का समर आना ज़रूरी है तरन्नुम से तो शे ’ रों में असर पैदा नहीं होता अदा से कुछ नहीं होता , हुनर आना ज़रूरी है हर इक उम्मीद की ज़ौ को सियाही खाए जाती है अब इस तारीक शब की तो सहर आना ज़रूरी है चराग़ - ए - दिल जलाने से भी तारीकी नहीं मिटती ज़मीं पर आसमाँ का अब उतर आना ज़रूरी है तमन्ना तोडती है दम , उम्मीदें बुझती जाती हैं किसी उम्मीद का " मुमताज़ " बर आना ज़रूरी है جمود   انگیز   ایماں میں   بھنور   آنا   ضروری   ہے اب   اک   طوفان_عبرت   کا   ادھر   آنا   ضروری   ہے گماں کے   موڑ سے   آگے   سفر   جاری   جو   رکھنا   ہو تو   پھر   ماضی   کے   مرنے   کی   خبر   آنا   ضروری   ہے بلن

भर गया अपनों से दिल, अब लोग अंजाने तलाश

भर गया अपनों से दिल , अब लोग अंजाने तलाश इस तअस्सुब की ज़मीं पर यार मैख़ाने तलाश है वही मुंसिफ़ , गवाह उस के , निज़ाम उस का मगर ख़ूँ शहादत देगा तू क़ातिल के दस्ताने तलाश दौर-ए-हाज़िर के सितम से किस लिए मायूस है जिन पे तेरा नाम हो वह रिज़्क़ के दाने तलाश गुम हुए सारे शनासा अजनबी है हर मक़ाम शहर हैं सुनसान अब ऐ यार वीराने तलाश आदमी के फ़ैल से शैतानियत है शर्मसार आदमीयत के नए अब कोई पैमाने तलाश जाने हम को ज़िन्दगी ने ये कहाँ पहुंचा दिया अजनबी बस्ती में कुछ चेहरे तो पहचाने तलाश मंदिर-ओ-मस्जिद तो अब “ मुमताज़ ” बेगाने हुए अब इबादत के लिए दिल के वो बुतख़ाने तलाश

खिलने लगे हैं ज़ख़्म जो गुलज़ार की तरह

खिलने लगे हैं ज़ख़्म जो गुलज़ार की तरह आँखों में फूल चुभने लगे ख़ार की तरह कब से निभाए जाते हैं मजबूरियाँ भी हम अब तो मोहब्बतें भी हुईं बार की तरह अब हर क़दम पे रखते हैं सूद - ओ - ज़ियाँ का पास रिश्ते निभाए जाते हैं ब्योपार की तरह दिल की किरच किरच से सजाया है ज़ीस्त को हम ग़म मनाते आये हैं त्योहार की तरह हर इक अमल है मौजिज़ा हर इक अदा कमाल कोई कहीं दिखाओ तो सरकार की तरह ऐ यार राह - ए - इश्क की रंगीनियाँ न पूछ " ज़ख़्म - ए - जिगर हुए लब - ओ - रुख़सार की तरह " " मुमताज़ " तीरगी है , घुटन है , सुकूत है दिल सर्द हो चुका है किसी ग़ार की तरह کھلنے   لگے   ہیں   زخم   جو   گلزار   کی   طرح آنکھوں   میں   پھول   چبھنے   لگے   خار   کی   طرح کب   سے   نبھاۓ   جاتے   ہیں   مجبوریاں   بھی   ہم اب   تو   محبتیں   بھی   ہوئیں   بار   کی   طرح اب   ہر   قدم   پہ   رکھتے   ہیں صود و   زیاں   کا   پاس رشتے   نبھاۓ   جاتے   ہی