उस का शेवा कि सितम तोड़ो, सताते जाओ
उस का शेवा कि सितम तोड़ो , सताते जाओ और तकाज़ा , कि हर इक ज़ुल्म उठाते जाओ क्या मज़ा जीने का , सीखा न जो मरने का हुनर मौत से भी तो ज़रा आँख मिलाते जाओ उस की आँखों में गिरफ़्तार हैं सौ मैख़ाने दम ब दम बादा ए मस्ती में नहाते जाओ वो जो आया तो इन्हीं अश्कों में ढूँढेगा तुम्हें पानियों पर भी निशाँ कुछ तो बनाते जाओ एक इक याद ए मोहब्बत , एक इक वस्ल का पल जाते जाते ये सभी शमएँ बुझाते जाओ दुश्मनी करनी है तुम को , तो ज़रा जम के करो " जाते जाते कोई इलज़ाम लगाते जाओ " और ' मुमताज़ ' तुम्हें आता है क्या इस के सिवा कितने एहसान किये हम प् , गिनाते जाओ اس کا شیوا , کہ ستم توڑو , ستاتے جاؤ اور تقاضہ , کہ ہر اک ظلم اٹھاتے جاؤ کیا مزہ جینے کا , سیکھا نہ جو مرنے کا ہنر موت سے بھی تو ذرا آنکھ