उस का शेवा कि सितम तोड़ो, सताते जाओ
उस का शेवा कि सितम तोड़ो , सताते जाओ और तकाज़ा , कि हर इक ज़ुल्म उठाते जाओ क्या मज़ा जीने का , सीखा न जो मरने का हुनर मौत से भी तो ज़रा आँख मिलाते जाओ उस की आँखों में गिरफ़्तार हैं सौ मैख़ाने दम ब दम बादा ए मस्ती में नहाते जाओ वो जो आया तो इन्हीं अश्कों में ढूँढेगा तुम्हें पानियों पर भी निशाँ कुछ तो बनाते जाओ एक इक याद ए मोहब्बत , एक इक वस्ल का पल जाते जाते ये सभी शमएँ बुझाते जाओ दुश्मनी करनी है तुम को , तो ज़रा जम के करो " जाते ...