सूनामी (TSUNAMI) (2011 में जापान में आई भयंकर सूनामी की खबर पढ़ कर ये नज़्म कही थी)
उठा वो क़हर मौजों का जो धरती की तरफ़ दौड़ा क़यामतख़ेज़ मौजों ने हर इक दीवार को तोड़ा लरज़ उट्ठी ज़मीं , हर ओर इक हंगाम तारी है बरहना मौत का ये रक़्स चारों सिम्त जारी है UTHA WO QEHR MAUJON KA JO DHARTI KI TARAF DAUDA QAYAMAT KHEZ MAUJON NE HAR IK DEEWAR KO TODA LARAZ UTTHI ZAMEEN HAR OR IK HANGAAM TAARI HAI BARAHNA MAUT KA YE RAQS CHAARON SIMT JAARI HAI तमाशा मौत का , रक़्स-ए-ज़मीं , मौजों का हंगामा ये क़ुदरत का ग़ज़ब , ये डूबती लाशों का हंगामा ये जलते घर के घर , जलती हुई ये शहर की राहें क़यामत का रिएक्टर , ये ख़ुदा के क़हर की राहें ये ज़हन-ए-आदमी में छाई ज़ुल्मत का नतीजा हैं ये इंसाँ के ख़ुदा बनने की चाहत का नतीजा हैं TAMASHA MAUT KA, RAQS E ZAMEEN, MAUJON KA HANGAAMA YE QUDRAT KA GHAZAB YE DOOBTI LAASHON KA HANGAAMA YE JALTE GHAR KE GHAR JALTI HUI YE SHEHR KI RAAHEN QAYAMAT KA REACTOR YE KHUDA KE QEHR KI RAAHEN YE ZEHN E AADMI MEN CHHAI ZULMAT KA NATEEJA HAIN YE INSAAN KE KHUDA BAN NE KI CHAAHAT KA NATEEJA HAIN यहाँ सब कोशिशें नाकाम हैं , उम्म...