सूनामी (TSUNAMI) (2011 में जापान में आई भयंकर सूनामी की खबर पढ़ कर ये नज़्म कही थी)

उठा वो क़हर मौजों का जो धरती की तरफ़ दौड़ा
क़यामतख़ेज़ मौजों ने हर इक दीवार को तोड़ा
लरज़ उट्ठी ज़मीं, हर ओर इक हंगाम तारी है
बरहना मौत का ये रक़्स चारों सिम्त जारी है
 UTHA WO QEHR MAUJON KA JO DHARTI KI TARAF DAUDA
QAYAMAT KHEZ MAUJON NE HAR IK DEEWAR KO TODA
LARAZ UTTHI ZAMEEN HAR OR IK HANGAAM TAARI HAI
BARAHNA MAUT KA YE RAQS CHAARON SIMT JAARI HAI

तमाशा मौत का, रक़्स-ए-ज़मीं, मौजों का हंगामा
ये क़ुदरत का ग़ज़ब, ये डूबती लाशों का हंगामा
ये जलते घर के घर, जलती हुई ये शहर की राहें
क़यामत का रिएक्टर, ये ख़ुदा के क़हर की राहें
ये ज़हन-ए-आदमी में छाई ज़ुल्मत का नतीजा हैं
ये इंसाँ के ख़ुदा बनने की चाहत का नतीजा हैं
TAMASHA MAUT KA, RAQS E ZAMEEN, MAUJON KA HANGAAMA
YE QUDRAT KA GHAZAB YE DOOBTI LAASHON KA HANGAAMA
YE JALTE GHAR KE GHAR JALTI HUI YE SHEHR KI RAAHEN
QAYAMAT KA REACTOR YE KHUDA KE QEHR KI RAAHEN
YE ZEHN E AADMI MEN CHHAI ZULMAT KA NATEEJA HAIN
YE INSAAN KE KHUDA BAN NE KI CHAAHAT KA NATEEJA HAIN

यहाँ सब कोशिशें नाकाम हैं, उम्मीद बेकस है
कि इंसाँ देख लो क़ुदरत के आगे कितना बेबस है
ज़मीं की एक ही लग़्ज़िश ने वो महशर उठाया है
कि बूद-ओ-हस्त के हर सिलसिले को आज़माया है
बशर की ज़ात को क़रतास-ए-हस्ती से मिटाया है
कोई क़ुदरत की नज़रों में ना अपना ना पराया है
YAHAN SAB KOSHISHEN NAAKAAM HAIN UMMEED BEKAS HAI
KE INSAAN DEKH LO QUDRAT KE AAGE KITNA BEBAS HAI
ZAMEEN KI EK HI LAGHZISH NE WO MEHSHAR UTHAYA HAI
KE BOOD O HAST KE HAR SILSILE KO AAZMAAYA HAI
BASHAR KI ZAAT KO QARTAAS E HASTI SE MITAAYA HAI
KOI QUDRAT KI NAZRON MEN NA APNA NA PARAYA HAI

अलम बरदार दहशत के कहाँ हैं सामने आएँ
वो रहबर ज़ुल्म-ओ-नफ़रत के कहाँ हैं, सामने आएँ
नुमाइंदा जो दुनिया का बना फिरता है, हाज़िर हो
नुमाइंदा जो अल्लाह का बना फिरता है, हाज़िर हो
कहाँ है उनकी ताक़त, उनकी जुरअत, उनकी मनमानी
ज़रा तो रोक लें आकर वो क़ुदरत की ये तुग़ियानी
ज़मीं को हुक्म दें, रक़्स-ए-क़ज़ा को क़ैद कर डालें
जो आई है क़यामत वक़्त से पहले, उसे टालें
अगर ये कर नहीं सकते तो फिर ये ज़ोम है कैसा
जो ये ताक़त नहीं रखते तो फिर ये ज़ोम है कैसा
ALAM BARDAAR DEHSHAT KE KAHAN HAIN SAAMNE AAEN
WO REHBAR ZULM O NAFRAT KE KAHAN HAIN SAAMNE AAEN
NUMAAINDA JO DUNIYA KA BANA PHIRTA HAI HAAZIR HO
NUMAAINDA JO ALLAH KA BANA PHIRTA HAI HAAZIR HO
KAHAN HAI UN KI TAAQAT UN KI JUR'AT UN KI MANMAANI
ZARA TO ROK LEN AA KAR WO QUDRAT KI YE TUGHYAANI
ZAMEEN KO HUKM DEN RAQS E QAZA KO QAID KAR DAALEN
JO AAI HAI QAYAMAT WAQT SE PEHLE USE TAALEN
AGAR YE KAR NAHIN SAKTE TO PHIR YE ZOM HAI KAISA
JO YE TAAQAT NAHIN RAKHTE TO PHIR YE ZOM HAI KASA

ये इक अदना सी जुंबिश है, ये क़ुदरत का इशारा है
निज़ाम-ए-ज़िंदगी का हर सहीफ़ा पारा पारा है
ख़ुदाई के तलबगारो, ज़रा अंजाम की सोचो
करो कुछ होश, कुछ तो ज़िन्दगी की शाम की सोचो
बिसात-ए-हस्त पे ताक़त का मोहरा पिट भी सकता है
ख़ुदाई का जो दावेदार है वो मिट भी सकता है
YE IK ADNA SI JUMBISH HAI YE QUDRAT KA ISHAARA HAI
NIZAAM E ZINDAGI KA HAR SAHEEFA PARA PARA HAI
KHUDAAI KE TALABGAARO, ZARA ANJAAM KI SOCHO
KARO KUCHH HOSH, KUCHH TO ZINDAGI KI SHAAM KI SOCHO
BISAAT E HAST PE TAAQAT KA MOHRA PIT BHI SAKTA HAI
KHUDAAI KA JO DAAVEDAAR HAI WO MIT BHI SAKTA HA


तारी छाया हुआ, बरहना नंगा, रक़्स नृत्य, सिम्त दिशा, रक़्स-ए-ज़मीं धरती का नृत्य, ग़ज़ब क्रोध, ज़हन मस्तिष्क, ज़ुल्मत अँधेरा, लग़्ज़िश लड़खड़ाना, महशर प्रलय, बूद-ओ-हस्त है और था(मौत और ज़िन्दगी), बशर मानव, क़रतास-ए-हस्ती दुनिया का काग़ज़, अलम बरदार झण्डा उठाने वाले, रहबर रास्ता दिखाने वाले, नुमाइंदा प्रतिनिधि, जुरअत हिम्मत, तुग़ियानी तूफ़ानी लहरें, रक़्स-ए-क़ज़ा मौत का ताण्डव, ज़ो घमंड, अदना बहुत छोटा, जुंबिश हरकत, निज़ाम-ए-ज़िंदगी जीवन का विधान, सहीफ़ा किताब, पारा पारा टुकड़े टुकड़े, तलबगारो चाहने वालो, बिसात-ए-हस्त हस्ती की बिसात, ख़ुदाई दुनिया की हुकूमत  

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