विसाल
मेरे महबूब तेरे चाँद से चेहरे की क़सम तेरे आग़ोश में मुझको पनाह मिलती है वो तेरे मख़मली होंटों की छुअन का जादू जिस्म पर वो तेरी आँखों की चुभन का जादू वो तेरी साँसों में साँसों का मेरी मिल जाना वो तेरे होंटों से होंटों का मेरे सिल जाना वो तेरे प्यार की शिद्दत , वो तेरी बेताबी धड़कनों की वो सदा , आँखों की वो बेख़्वाबी वो तेरे रेंगते हाथों का नशा , उफ़! तौबा और दो जिस्मों के मिलने की सदा उफ़! तौबा वो तेरी मीठी शरारत , वो तेरी सरगोशी वो मेरी डूबती सिसकी , वो मेरी मदहोशी वो मेरे बंद-ए-क़बा धीरे से खुलते जाना वो तेरी नज़रों से पैकर मेरा धुलते जाना क्या बताऊँ मैं तुझे कैसी ये बेताबी है क्या कहूँ कौन सी उलझन में गिरफ़्तार हूँ मैं मैं तुझे कैसे बताऊँ मेरे दिल की बातें कैसे कह दूँ कि तेरे हिज्र की बीमार हूँ मैं मेरे महबूब तेरे चाँद से चेहरे की क़सम तेरे आग़ोश में मुझ को पनाह मिलती है