ख़्वाब हैं आँखों में कुछ, दिल में धड़कता प्यार है
ख़्वाब हैं आँखों में कुछ, दिल में धड़कता प्यार है
हाँ हमारा जुर्म है ये , हाँ हमें इक़रार है
मसलेहत की शर पसंदी किस क़दर ऐयार है
"देखिये तो फूल है छू लीजिये तो ख़ार है"
रहबरान-ए-क़ौम से अब कोई तो ये सच कहे
इस सदी में क़ौम का हर आदमी बेदार है
सुगबुगाहट हो रही है आजकल बाज़ार में
मुफ़लिसी की हो तिजारत ये शजर फलदार है
सुर्ख़रू है फितनासाज़ी रूसियाह है इंतज़ाम
मुल्क की बूढी सियासत इन दिनों बीमार है
हमलावर रहती हैं अक्सर नफ़्स की कमज़ोरियाँ
जाने कब से आदमीयत बर सर-ए-पैकार है
हो गया पिन्दार
ज़ख़्मी खुल गया सारा भरम
क़ौम को जो बेच बैठा, क़ौम का सरदार है
हाँ तुम्हीं सब से भले हो
, जो करो वो ठीक है
हैं बुरे "मुमताज़" हम ही , हम को कब इनकार है
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